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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय


जिन पाँच दिनोंके लिए जहाजको स्वास्थ्य-अधिकारी द्वारा संगरोधमें रखा गया था, उनके समाप्त हो जानेपर और संगरोधके नियमोंका कठोरतासे पालन किया जा चुकनेपर उक्त पेश होनेवाले ने तटके कार्यालयको यह संकेत-सन्देश दिया : "संगरोधके विषयमें क्या फैसला रहा, कृपया जवाब दीजिए।" इसका उत्तर यह मिला : "संगरोधकी अवधिका निर्णय अभीतक नहीं हुआ।"

२३ दिसम्बरको छतें धुलवाकर और सब स्नानघरों और टट्टियोंका कीटाणुनाशक ओषधियोंसे शोधन कराकर, उक्त पेश होनेवाले ने तटको फिर यह सन्देश दिया : "संगरोधके विषयमें क्या रहा?" इसका जवाब मिला : "संगरोध-अधिकारीने हिदायतें नहीं दी।"

२४ दिसम्बरको छतें धोई गई और स्नानघरोंका ओषधियों द्वारा शोधन किया गया। उसी दिन, स्वास्थ्य-अधिकारी और पुलिस-सुपरिटेंडेंट जहाजपर आये। उन्होंने मल्लाहों और यात्रियोंको इकट्ठा करवाकर उनका निरीक्षण किया और जहाजका पूरी तरह शोधन करवाया। इस काममें कार्बोलिक ऐसिड और कार्बोलिक पाउडरका खुलकर प्रयोग किया गया। स्वास्थ्य-अधिकारीकी हिदायतसे यात्रियोंके सब मैले कपड़े, पट्टियाँ, टोकरियाँ और अन्य बेकार चीजें जहाजकी भट्ठी में जला डाली गई और बारह दिनके लिए संगरोध और मढ़ दिया गया। इस तारीखतक संगरोधके सब नियमोंका कठोरतासे पालन किया जाता रहा था।

२५ दिसम्बरको बड़ी और छोटी सब छतें स्वास्थ्य अधिकारीके परामर्शके अनुसार, १ भाग कार्बोलिक ऐसिड और २० भाग पानीके घोलसे धो डाली गई।

२६ दिसम्बरको छतें धोई गईं, स्नानघरोंका ओषधिसे शोधन किया गया और संगरोधके नियमोंका कठोरतासे पालन किया गया।

२७ दिसम्बरको मुख्य छत और छोटी छतें धोई गई और १ भाग कार्बोलिक ऐसिड और २० भाग पानीके घोलसे शोधी गई।

२८ दिसम्बरको बड़ी और छोटी छतें कार्बोलिक ऐसिड और पानीके घोलसे वोई गई। स्नानघरोंमें सफेदी करवाई गई। और आजतक संगरोधके नियमोंका कठोरतासे पालन किया गया। यात्रियोंके बिछौनों, बिस्तरों और सब मैले कपड़ोंको जहाजकी भट्ठी में जला डाला गया, और सब यात्रियोंके कपड़े छोटी-बड़ी छतोंमें लटका कर नौ जगह गन्धक सुलगा दी गई। सब छेद बन्द कर दिये गये और सायं ६-३० बजेतक आगको जलता रखा गया। मल्लाहोंके रहने का स्थान, बड़ी बैठक, दूसरे दरजेकी कोठरियाँ, स्नानघर और गलियोंमें भी यही कार्रवाई की गई। यात्रियों और मल्लाहोंको भी उक्त घोलसे नहलाया गया। छतें धो डाली गईं और यात्रियोंके सब निवास स्थान इस घोलसे साफ किये गये। कपड़े भी घोलमें डुबाये गये।

२९ दिसम्बरको यह सन्देश तटपर भेजा गया : "शोधन-कार्य स्वास्थ्य अधिकारी की तसल्लीके अनुसार पूरा हो गया।" स्वास्थ्य-अधिकारीने जहाजका निरीक्षण किया और कहा कि शोधन-कार्यसे मुझे सन्तोष हो गया है और उसने जहाज तथा मल्लाहों पर इस तारीखसे बारह दिनका संगरोधक लगा दिया