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प्रर्थनापत्र उपनिवेश-मंत्रीको


३० दिसम्बरको यह संकेत-सन्देश तटपर भेजा गया : "सरकारसे कहो कि जो कपड़े उसने जलवा दिये है, उनकी जगह तुरन्त २५० कम्बल भेज दे। यात्रियोंको उनके बिना बड़ा कष्ट है। वरना उन्हें तुरन्त उतार दो। यात्री सरदी और नमीसे पीड़ित हैं। डर है, कि इनके कारण कहीं बीमारी न फैल जाये।"

९ जनवरीको उक्त पेश होनेवाले ने तटको यह संकेत-सन्देश भेजा : "संगरोध समाप्त हो गया। यात्रियोंको उतारने की इजाजत मुझे कब मिलेगी? कृपया जवाब दीजिए।"

११ जनवरीको स्वास्थ्य-अधिकारी जहाजपर आया और यात्रियोंको उतारने की इजाजत दे गया। संगरोधका झंडा उतार दिया गया। इसपर पेश होनेवाले ने तटपर जानेकी अनुमति माँगी, परन्तु पुलिस-अधिकारी और जहाज-चालकके सामने ही अनुमति देनेसे इनकार कर दिया गया। 'नेटाल' मार्गदर्शकको लेकर आया। उसने जहाजपर आकर कागजात और बन्दरगाहके फार्मोकी खाना-पूरी कर दी और उक्त फैन्सिस जॉन रैफिनको वह आज्ञा दे गया कि तुम तटसे इशारा मिलनेपर घाटपर आने के लिए तैयार रहो।

१२ जनवरीको तटसे कोई इशारा नहीं मिला।

१३ को 'चर्चिल' यह सरकारी आज्ञा लेकर आया कि १०-३० बजे प्रातः तटपर आने के लिए तैयार रहना। साढ़े बारह बजे इस पेश होनेवाले के जहाजने लंगर डाला और वह 'करलैंड' की बगलमें जा लगा। २-३० बजे बन्दरगाहके कप्तानसे आज्ञा मिली कि यात्रियोंको बतला दो कि उनको उतरने की स्वतन्त्रता है।

और अब यह पेश होनेवाला, और मैं उक्त नोटरी भी, सरकार या सरकारी अधिकारियोंके उक्त कार्यों और उनके कारण हुए सारे नुकसान और क्षतिके विरुद्ध प्रतिवाद करते हैं।

इस प्रकार डर्बन, नेटालमें, उपर्युक्त दिन, महीने और वर्षको, यहाँ हस्ताक्षर करनेवाले गवाहोंकी उपस्थितिमें किया और कानून द्वारा निर्धारित रूपमें लिखकर स्वीकृत किया गया।

गवाह :

(ह॰) जॉर्ज गुडरिक
(ह॰) गॉडफ्रे वेलर [मिलर?]

फ्रे॰ जाॅ॰ रैफित
उक्त शपथ-कर्त्ता
(ह॰) जॉन एम॰ कुक
नोटरी पब्लिक