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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय


१८८२ के कानून ४ के अनुसार गवर्नर साहब अपनी कार्यकारिणी समितिकी सलाहसे, समय-समयपर ऐसी आज्ञाएँ दे सकते हैं और ऐसे नियम बना सकते हैं, जो विशिष्ट प्रकारकी आवश्यकताओंकी पूर्ति के लिए आवश्यक हों और जिनसे यह निश्चय किया जा सके कि किसी जहाजको किन परिस्थितियोंमें कानून के अमलसे पूर्णतः या अंशतः बरी किया जा सकता है। मैं गवर्नर साहबके नाम प्रार्थनापत्र तैयार कर रहा हूँ कि इस मामले में ऐसी विशिष्ट परिस्थितियाँ विद्यमान है। प्रार्थनापत्र पेश करने के लिए मैं गवर्नर साहबसे मिलने एक शिष्टमण्डलको लाना चाहता हूँ, और मालिकोके वकीलकी हैसियतसे स्वयं उनके सामने हाजिर होकर मालिकोंके प्रार्थनापत्रका समर्थन करना चाहता हूँ।

जहाजोंके रोके जाने के कारण उनके मालिकोंमें से प्रत्येकको डेढ-सौ पौंड प्रतिदिनका नुकसान हो रहा है। इस कारण वे गवर्नर साहबकी सेवामें, जल्दीसे-जल्दी जो दिन नियत कर देनेकी कृपा करें, उसी दिन उपस्थित होने के लिए उत्सुक हैं।

आपका आज्ञाकारी सेवक,
(ह॰) एफ॰ ए॰ लॉटन

(परिशिष्ट छ)
नकल

डर्बन
२२ दिसम्बर, १८९६

प्रिय श्री लॉटन,

गवर्नर साहबने मुझे यह कहने की आज्ञा दी है कि यद्यपि संगरोधजैसे मामलेमें वे निश्चय ही मंत्रियोंसे सलाह लेना पसन्द करेंगे, फिर भी, यदि आप चाहते ही हो तो, कल मैरित्सबर्गमें वे इस मामले में रुचि रखनेवाले सज्जनोंके शिष्टमण्डलसे मिल लेंगे।

आपका शुभैषी,
(१०) हैरी एस्कम्ब

श्री एफ॰ ए॰ लॉटन