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प्रर्थनापत्र : उपनिवेश-मंत्रीको

 

(परिशिष्ट ज)
नकल

सेवामें

महामहिम माननीय सर वाल्टर फ्रान्सिस हेली हचिन्सन, सेंट माइकेल और सेंट जॉर्जके प्रतिष्ठिततम संघके नाइट-कमांडर; नेटाल उपनिवेशके गवर्नर और प्रधान सेनापति; वहाँके वाइस-एडमिरल, और वतनी जनताके सर्वोच्च शासक :

'कूरलैंड' जहाजकी मालिक और 'नादरी' जहाजके मालिकोंकी प्रतिनिधि, डर्बन नगरकी दादा अब्दुल्ला एंड कम्पनीका इन जहाजोंको संगरोधसे छुड़वाने के लिए नम्र प्रार्थनापत्र।

निवेदन है कि,

ये जहाज, 'नादरी' और 'कूरलैंड', गत मासकी २८ और ३० तारीख को सब वर्गोके ३५६ और २५५ यात्री लेकर बम्बईसे इस बन्दरगाहके लिए रवाना हुए थे और इस महीनेकी १८ तारीखको क्रमशः दोपहरके २ बजे और शामके ५–३० बजे यहाँ पहुँच गये।

इन दोनों जहाजोंके डॉक्टरोंने यहाँ पहुँचने के पश्चात् सरकारी स्वास्थ्यअधिकारीको बतलाया कि इन जहाजोंपर न तो अब किसी प्रकारकी कोई बीमारी है और न बम्बईसे यहाँतक की उनकी यात्रामें ही कोई बीमारी हुई थी। फिर भी इस बन्दरगाहके उक्त सरकारी स्वास्थ्य-अधिकारीने आपकी एक घोषणाका हवाला देकर यात्रियोंको उतारने का अनुमतिपत्र देनेसे इनकार कर दिया।

इस घोषणापर इसी महीनेकी १८ तारीख पड़ी हुई है और यह १९ तारीखके असाधारण सरकारी गज़टमें प्रकाशित हुई थी। आपके प्रार्थियोंका निवेदन निम्न प्रकार है :

(क) कोई भी सरकारी घोषणा "या तो सरकारी आज्ञासे प्रकाशितया सार्वजनिक विज्ञप्ति" होती है। यह घोषणा १९ तारीख तक प्रकाशित नहीं हुई थी। इसलिए यह १८ तारीखको यहाँ पहुँचे हुए इन जहाजोंपर लागू नहीं हो सकती।
(ख) यदि १८८२ केकानून ४ की धारा १ के शब्दोंका : लकूल ठीक-ठीक अर्थ किया जाये तो यह घोषणा केवल उन जहाजोंपर लागू हो सकती है जो इस घोषणाके प्रकाशित होनेके पश्चात् किसी छूतकी बीमारीवाले बन्दरगाहसे चलकर यहाँ पहुँचे हों।