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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय


(ग) पूर्व-वणित जहाजोंपर बड़ी संख्यामें यात्रियोंकी भीड़ होनेसे

बीमारी और महामारी फैल सकती है।

(घ) डॉक्टरोंके संलग्न प्रमाणपत्रोंसे प्रकट होता है कि इनके यात्री, आबादीके लिए बिना किसी भयके, उतारे जा सकते हैं।
(ङ) पूर्वोक्त कारणोंसे प्रार्थियोंको औसतन डेढ़-सौ पौंड प्रतिदिनका नुकसान हो रहा है।

इसलिए प्रार्थियोंकी प्रार्थना है कि बन्दरगाहके स्वास्थ्य अधिकारीको इन जहाजोंको यात्री उतारने का अनुमतिपत्र देनेकी हिदायत कर दी जाये अथवा उनके लिए और कोई उचित सुविधा कर दी जाये। और इसके लिए आपके प्रार्थी सदा दुआ करेंगे, आदि।

(हस्ताक्षर) दादा अब्दुल्ला ऐंड क॰

(परिशिष्ट जक)
नकल

डर्बन
२२ दिसम्बर, १८९६

सर्वश्री गुडरिक, लॉटन ऐंड कुक
महाशय,
आपके प्रश्नोंके उत्तर ये हैं :

(१) गिल्टीवाले बुखार या प्लेगकी छूत लगने के बाद कितने समयमें उसके चिह्न प्रकट हो जाते है?

रोग लगने के बाद उसके चिह्न प्रकट होनेका समय कुछ घंटेसे लेकर एक सप्ताहतक होता है ('क्रुकशैक' की पुस्तक, चौथा संस्करण, १८९६)। मैं इन रोग-कृमियोंका टीका लगाकर चूहोंको २४ घंटोंमें मारकर देख चुका हूँ।

(२) यदि किसी जहाजको छूतकी बीमारीवाले बन्दरगाहसे चले १८ दिन हो चुके हों और उस बीच जहाजमें कोई बीमारी न रही हो, तो क्या उसपर भी यह रोग होनेकी सम्भावना रहेगी?—नहीं।

(३) ३५० भारतीयोंको बन्दरगाहके बाहर किसी छोटे जहाजमें गरमीकी ऋतुमें बहुत देर तक ठूँसकर रखने का परिणाम क्या होगा?—भारतीयोंके लिए अत्यन्त भयंकर।

आपका हितैषी,
(हस्ताक्षर) जे॰ पेस्ट प्रिन्स, एम॰ डी॰