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प्रर्थनापत्र : उपनिवेश-मंत्रीको


इसके उत्तरमें हम आपका ध्यान फिर इस तथ्यकी ओर आकृष्ट करने की अनुमति चाहते हैं कि आपने अब भी हमारे कलके पत्रमें किये हुए प्रश्नका उत्तर नहीं दिया।

हम दोनोंमें किसी प्रकारका भ्रम न रहे, इसलिए हम आपका ध्यान उस कानूनकी ओर आकृष्ट करना चाहते हैं, जिसके अनुसार आप देखेंगे कि अनुमतिपत्र देनेसे इनकार कुछ विशिष्ट कारणोंसे ही किया जा सकता है। और हम आपसे इस मामले में वे कारण बतलाने के लिए कह रहे है। स्पष्ट है कि आप उस प्रश्नका उत्तर देना नहीं चाहते जिसे पूछने का हमारे मुवक्किलोंको पूरा अधिकार है। आपकी इस अनिच्छापर हमें आश्चर्य है।

आपके आज्ञाकारी सेवक,
(हस्ताक्षर) गुडरिक, लॉटन ऐंड कुक

[पुनश्च :]

हम उन शर्तोंको पूरी तरह और ठीक-ठीक जानना चाहते हैं जो कि आप यात्री उतारने का अनुमतिपत्र देनेके लिए लगाना चाहते हैं; क्योंकि अगर आपने हमें वे शर्तें बताई भी है तो ऐसा नहीं लगता कि वे पूरी तौरसे बताई गई है।

(परिशिष्ट ण)
नकल

डर्बन
२६ दिसम्बर, १८९६

सेवामें
गुडरिक, लॉटन ऐंड कुक
महाशय,

आपका २५ दिसम्बर, १८९६ का पत्र मुझे मिला। मैं उचित एहतियाती कार्रवाईके बिना इन जहाजोंको यात्री उतारने का अनुमतिपत्र देकर उपनिवेशको खतरे में नहीं डाल सकता।

यदि यात्रियोंको संगरोधके मकानोंमें नहीं उतारा जाता तो जहाजोंमें धूनी देने और दोनों जहाजोंके कप्तानोंको हमने कपड़ोंके विषयमें जो एहतियात बरतने की हिदायतें दी है—अर्थात् उन्हें धोने और ओषधियों द्वारा शोधने की और सब पुराने चिथड़े, पट्टियाँ, थैले आदि जला डालने की उनपर अमल हो चुकने के बाद बारह दिन पूरे होनेसे पहले यात्रियोंको उतारने का अनुमतिपत्र नहीं दिया जा सकता। यदि जहाजोंके मालिक संगरोध का खर्च उठाने को तैयार हों तो यात्री उतारने से पहले उन्हें ऊपर