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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दी हुई धूनी देने आदिकी एहतियाती कार्रवाई पूरी कर देनी चाहिए। यात्री उतारने के बाद जहाजोंको यहाँसे जानेकी सहूलियत कर दी जायेगी। परन्तु मुनासिब पाबन्दियोंके बिना किनारेके साथ उनका कोई सम्पर्क नहीं होना चाहिए। यदि आप चाहते हैं कि जहाज यहाँसे विदा हो जाये तो उसका सबसे आसान तरीका यही है कि उनके मालिक, जहाजोंको धूनी देने आदिके बाद, यात्रियोंको बारह दिनतक, या यदि आवश्यकता हो तो उससे अधिक समयतक भी, टेकरीपर संगरोधमें रखने का खर्च उठा लें।

इस मामलेसे सम्बद्ध कोई कानूनी नुक्ते हों तो आप कृपया "क्लार्क ऑफ द पीस" को लिखिए। मेरा उनसे कोई वास्ता नहीं है।

आपका आज्ञाकारी,
(हस्ताक्षर) डी॰ बर्टवेल

(परिशिष्ट त)
नकल

डर्बन
२६ दिसम्बर, १८९६

सेवामें
श्री डी॰ बर्टवेल, एम॰ डी॰
प्रिय महोदय,

आपका आजका पत्र हमें मिला। हमने तीन बार आपसे पूछा कि आप 'कूरलैड' और 'नादरी' जहाजोंको यात्री उतारने का अनुमतिपत्र किन कारणोंसे नहीं दे रहे हैं, और तीनों बार आपने इस प्रश्नको टाल दिया। इसलिए अब हम यह मानकर चल रहे हैं कि आप ये कारण बतलाने से इनकार करते हैं।

हमें मुख्य उपसचिवसे ज्ञात हुआ है कि आपने सरकारको अपनी इनकारीका कारण यह बतलाया है कि बम्बईम गिल्टीवाला प्लेग फैला हुआ है और यदि इन जहाजोंको यात्री उतारने की अनुमति दे दी गई तो यहाँ भी छूत फैल जानेका डर है। हमें यदि आपकी ओरसे इसके विपरीत कोई बात न बतलाई गई तो हम समझेंगे कि आपकी इनकारीका कारण यही है। कानूनकी दृष्टिसे यदि मान लिया जाये कि यह एक उचित कारण है तो सिद्ध करना पड़ेगा कि इसका आधार युक्तिसंगत है।

डॉ॰ कुकशैकने रोग-कीटाणु-विज्ञानपर अपनी पुस्तकके हालमें प्रकाशित संस्करणमें लिखा है कि "रोग लग जानेपर उसके चिह्न प्रकट होनेके लिए कुछ घंटोंसे लेकर एक सप्ताहतकका समय लगता है।" हमने सरकारके नाम अपने मुवक्किलोंके प्रार्थनापत्रके साथ डॉ॰ प्रिन्स और डॉ॰ हैरिसनकी जो सम्मतियाँ नत्थी की थीं, उनमें भी बहुत-कुछ ऐसा ही बतलाया गया है। और हमें मालूम हुआ है कि आप यह समय बारह दिनका बताते हैं। इन दोनों जहाजोंको बम्बईसे चले अब क्रमशः २६