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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय

 

(परिशिष्ठ थ)
नकल

डर्बन
८ जनवरी, १८९७

सेवामें
माननीय उपनिवेश-सचिव
मैरित्सबर्ग
श्रीमन्,

हम नम्रतापूर्वक निम्नलिखित हकीकतें आपके ध्यानमें लाना चाहते हैं :

हम 'कूरलैंड' जहाजके मालिक और 'नादरी' जहाजके मालिकोंके प्रतिनिधि हैं। ये दोनों जहाज गत ३०[१] नवम्बरको बम्बईसे चले और गत मासकी १८ तारीखको क्रमशः ५-३० बजे सायं और २ बजे दोपहर यहाँ पहुँचे थे। इन दोनोंपर सम्राज्ञीके क्रमश: २५५ और ३५६ भारतीय प्रजाजन थे।

अगले दिन प्रातःकाल सरकारने एक असाधारण गज़ट प्रकाशित किया, जिसमें गवर्नरको एक घोषणा निकालकर बम्बईको छूत-रोग-ग्रस्त बन्दरगाह घोषित किया गया था।

इन दोनों जहाजोंके पास स्पष्ट प्रमाणपत्र मौजूद थे कि यहाँ पहुँचनेपर, और यात्रामें, इनमें स्वस्थता रही। फिर भी इस बन्दरगाहके स्थानापन्न स्वास्थ्यअधिकारीने इन दोनोंको यात्री उतारने का अनुमतिपत्र देने और वैसा करने के कारण बतलाने से भी इनकार कर दिया। परन्तु हमारा खयाल है कि हमें मुख्य उपसचिवके गत मासकी २४ तारीखके इस तारसे वे कारण मालूम हो गये हैं :—"डॉक्टरोंकी समितिने सरकारको सलाह दी है कि गिल्टीवाले प्लेगकी छूतके चिह्न प्रकट होनेका समय कभी-कभी बारह दिनतक होता है। इसलिए छूत लगने की समस्त सम्भावनाएँ नष्ट कर देने के पश्चात् संगरोधका समय इतने दिन होना चाहिए। उक्त समितिने यह सिफारिश भी की है कि यात्रियों और उनके कपड़ोंका ओषधियों द्वारा पूरा-पूरा शोधन कर दिया जाये और सब पुराने चिथड़े तथा मैले कपड़े जला डाले जायें। सरकारने समितिकी रिपोर्टको स्वीकार कर लिया है और स्वास्थ्य अधिकारीको हिदायत दी है कि वह इसके अनुसार अमल करे और जहाजोंको यात्री उतारने की अनुमति तबतक न दे जबतक कि उसे यह निश्चय न हो जाये कि इस रिपोर्टकी सब शर्तें पूरी हो गई हैं।"

जहाज गत मासकी १८ तारीखसे २८ तारीखतक बन्दरगाहके बाहर लंगर डालने की जगह खड़े रहे। परन्तु ओषधियों द्वारा उनका शोधन करने की कोई कार्रवाई

  1. देखिए पाद-टिप्पणी पृ॰ २२०।