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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय

क्या किया जा रहा है। सरकारसे जो-कुछ हो सकता है वह कर रही है। और मुझे आशा है कि अगले दो-एक दिनमें उपनिवेश-भरमें जो भी सभा होगी, उसमें एकमतसे संसदका अधिवेशन तुरन्त ही बुलाने की इच्छा प्रकट की जायेगी। डर्बनके मर्द इस विषयमें सर्वथा एकमत हैं। मैंने कहा है 'डर्बनके मर्द'—क्योंकि इस जगहके आसपास कुछ बूढ़ी औरतें भी चक्कर काट रही हैं ('वाह-वाह' की आवाज और हँसी)। और अखबारोंकी आड़में कलम थामकर बैठें हुए लोग कैसे हैं, यह तो हम अखबारोंके कुछ अग्रलेखोंकी ध्वनिसे ही जान ले सकते हैं। जो लोग इस किस्मकी चीजें लिखते हैं, वे मानते हैं कि नागरिकोंको पता ही नहीं, सही क्या है। बात यह है कि जो सही है सो करने की हिम्मत ही उन लोगोंमें नहीं है। उसे करने में थोड़ी जोखिम जो उठानी पड़ती है (तालियाँ)। यदि इस सभामें भी कोई वैसी 'बूढ़ी औरतें होतीं तो वे उस समय जरूर उठकर खडी हो जबकि सभापतिने प्रस्तावके विरोधियोंको हाथ उठाने को कहा था। हम मान लें कि वैसी कोई औरतें यहाँ नहीं हैं। हम ऐसे लोगोंसे कोई वास्ता नहीं रखना चाहते।

"यह प्रस्ताव नेटाल-उपनिवेशके अच्छे सलूकसे सम्बन्ध रखता है। एकके अलावा इन जहाजोंपर के सब आदमी जब भारतसे चले थे, तब उन्हें ऐसा कोई सन्देह नहीं था कि उनका इस उपनिवेशके निवासियोंकी हैसियतसे अच्छा स्वागत नहीं किया जायेगा। अलबत्ता, एक यात्रीके बारेमें वाजिब अपेक्षा की जा सकती है कि उसे वैसा सन्देह करने का कारण रहा होगा" ('गांधी' की आवाजें, हँसी और हो-हल्ला)।

"मैं भारतीयोंके बारेमें जो कुछ भी कह रहा हूँ वह इस भलेमानस पर लागू नहीं होता ('भलामानस नहीं' की आवाज)। हमने नियम बना दिया है, और अब एक भी भारतीयको यहाँ उतरने नहीं दिया जायेगा।

"हमें अधिकार है कि हम दरवाजा बन्द कर दें और हम उसे बन्द करने का इरादा रखते है। जो लोग इस समय संगरोधमें है, उनके साथ भी हम न्यायका बरताव करेंगे—हम उस एक आदमीके साथ भी न्यायका ही बरताव करेंगे, परन्तु मुझे आशा है कि इन दोनों बरतावोंमें अन्तर स्पष्ट होगा (हँसी)। जहाँतक सांविधानिक और अन्तर्राष्ट्रीय मामलोंका प्रश्न है, उन्हें हम सरकारके लिए छोड़ देनेको तैयार है। परन्तु एक निजी सम्बन्ध भी है, और उसे छोड़ने के लिए मैं तैयार नहीं हूँ। वह सम्बन्ध है, अपने प्रति और शेष उपनिवेशके प्रति अपने कर्तव्यका। जबतक कुछ सफलता न मिले, तबतक आन्दोलन बन्द करने का हमारा कोई इरादा नहीं। इस लक्ष्यको सामने रखकर, मुझे आशा है, डर्बनके नागरिक किसी भी समय बन्दरगाह पर जाने और कहे जानेपर प्रदर्शन करने के लिए उसी प्रकार तैयार रहेंगे जिस प्रकार वे पहले रहते आये है। जो लोग इन जहाजोंसे आये हैं, उन्हें हम बता देंगे कि नेटालके उपनिवेशियोंका आशय क्या है। एक लक्ष्य हमारा और भी है। वह तभी पूरा होगा जब आप वहाँ पहुँच जायेंगे और नेताओंकी हिदायतें सुन लेंगे (हँसी और तालियाँ)। आपमें से हरएकको एक-एक नेताके साथ हो जाना