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प्रर्थनापत्र : उपनिवेश-मंत्रीको

चाहिए। उसीसे आपको पता लगेगा कि आपको कब क्या हिदायत मिलनेवाली है। उस हिदायतका मतलब यह है कि आप अपने औजार पटककर सीधे बन्दरगाह पर पहुँच जायें (तालियाँ)। जब आप जहाज-घाटपर पहुँच जायेंगे तब हुक्मके पाबंद हो जायेंगे—जो कोई पता लगाने का कष्ट करेगा उसे पता लग जायेगा। तब हमको ठीक वही करना होगा जो हमारा नेता कहेगा, यदि वह कुछ कहे तो (हँसी)। दो-एक दिनमें कोई नयी बात होगी। तब फिर आपसे एक और सभामें सलाह लेनेकी आवश्यकता पड़ेगी। हम अपनी-अपनी राय या रास्तेपर चलना नहीं चाहते। हम एकमात्र जनताके प्रतिनिधि होकर रहना चाहते हैं (तालियाँ)।"

"सभापतिको आशा है कि आप अपनी बातपर दृढ़ रहेंगे। ऐसा न हो कि अभी तो आप एकमत रहें और जब काम करने की जरूरत पड़े तब आपमें से केवल एकतिहाई ही दिखलाई पड़ें। जहाँतक जहाजोंपर के भारतीयोंका प्रश्न है वहाँतक प्रदर्शन शांत रहेगा—और रही उस एक आदमीकी बात, उसका फैसला नेताओंपर और आपपर छोड़ दिया जायेगा। नेता और आप उसके साथ वहीं भुगत लेंगे (जोरकी तालियाँ और हँसी)। अब हम चाहते है कि आप लक्ष्यकी पूर्तिके लिए अपना संगठन कर लीजिए। कुछ लोगोंने कहा है कि हमारे पास जो सौ-पचास आदमी नौकरी करते हैं हम, उन सबको ले आयेगे। अब हमें ऐसे स्वयंसेवकोंकी जरूरत है जो इतने आदमियोंका नेतृत्व कर सकें और उनकी जिम्मेवारी अपने सिर ले सकें। (एक आवाज : 'शनिवारको एक बार परख लीजिए')।"

"श्री वाइलीने कहा है कि यदि लोग अपना नाम बतलाकर उन व्यक्तियोंकी सूची भी साथ दे दें, जो कि उनके साथ काम करने और उनकी आज्ञा माननेको तैयार रहेंगे, तो संगठन करने और प्रदर्शनको नियमित करने में सुगमता हो जायेगी। इससे सभापतिजी को टोली-नेताओंके नाम मालूम हो जायेगे और वे यह निश्चय कर सकेंगे कि हिदायत किस-किसको भेजी जाये, और वे सब उसकी सूचना अपनी-अपनी टोलीको दे देंगे। असलमें तो प्रधान नेता केवल एक हैं—श्री स्पार्क्स; परन्तु वे अकेले ५,००० आदमियोंसे बात नहीं कर सकते, इसलिए सूचना पहुँचाने के इस माध्यमकी जरूरत है (एक आवाज—अब निकला कामका ढंग)।"

इस उपनिवेशमें सम्राज्ञीके प्रतिरक्षा मंत्री हैं श्री एस्कम्ब। एक समितिने उनके साथ मुलाकात की थी। प्रतीत होता है कि उस मुलाकातका जो हाल सभामें सुनाया गया, उससे लोगोंको प्रदर्शन संगठित करने के लिए बड़ा प्रोत्साहन मिला। इस समिति की तरफसे सभामें निम्न विवरण पेश किया गया था :

"श्री एस्कम्बने आज प्रातःकाल दो घंटेतक समितिसे बातचीत करने की कृपा की। बातचीत अच्छी तरह समझदारीके साथ हुई। उन्होंने बतलाया कि 'सरकारका एक-एक आदमी आपके साथ है और वह इस कामको प्रत्येक उपायसे यथासम्भव शीघ्र करना चाहती है। परन्तु आपको ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा कोई काम न हो जिससे हमारे हाथ बँध जायें। अड़ियल घोड़ेको मौतके मुँहमें समा जानेतक एड़ लगाते रहना एक बात है, और चलते घोड़ेको एड लगा-लगाकर मार डालना