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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय


भारतीय यात्रियोंके उतरने के विरुद्ध डर्बनके एक विशेष वर्गमें जो भावना इस समय फैली हुई है, उससे हम इनकार नहीं कर सकते। परन्तु, साथ ही, हमें अति आदरपूर्वक आपको यह बतला देना चाहिए कि इस भावनाको निरुत्साहित करने के बदले सरकारने उन उपायोंसे प्रोत्साहित ही किया है, जिनका वर्णन हम अपने ८ और ९ तारीखोंके पत्रोंमें कर चुके हैं।

हमें आश्चर्य है कि आपने, हमारे ऊपर उल्लिखित पत्रों द्वारा आपके ध्यानमें लाये हुए निम्न तथ्योंका जिक्रतक नहीं किया :

१. कुछ लोगोंने डर्बनमें गैर-कानूनी उद्देश्योंसे सभाएँ की और वे अब भी कर रहे हैं। परन्तु सरकारने उन्हें रोकने का कोई यत्न नहीं किया। २. डॉ॰ सैकेंजी, डॉक्टरोंके बोर्ड के सदस्य होते हुए भी, इन सभाओंके उद्देश्योंको बढ़ावा देनेवालों के एक क्रियाशील अगुआ बने हुए हैं। ३. इनमें से कई सभाओंमें बतलाया गया है कि इन सभाओंके उद्देश्योंके प्रति सरकारकी सहानुभूति है। ४. प्रतिरक्षा मंत्रीने इस संगठनकी समितिसे प्रायः कह दिया है कि सरकार दंगाइयोंके कानून-विरुद्ध उद्देश्योंकी सिद्धिके प्रयत्नोंमें कोई रुकावट खड़ी नहीं करेगी। ५. जो भी कोई हमारे यात्रियों और मालके विरुद्ध कोई कानून-विरुद्ध कार्रवाई करे, उससे रक्षा पाने में हमें सरकारको सहायताका हक है। ६. दंगाइयोंने एक "घोषणा" निकाली है। हमने अपने ९ तारीखके पत्रमें उसका हवाला दे दिया था। ७. सरकारके रेलवे कर्मचारी भी दंगाइयों के साथ प्रदर्शनमें भाग ले रहे हैं। ८. दंगाइयोंके नेता कप्तान स्पार्क्स बने हुए हैं, और सम्राज्ञीके अनेक कमिशन-प्राप्त अफसर उनके नीचे मातहतकी हैसियत से काम कर रहे हैं। ९. हमने सरकारसे ऐसा आश्वासन देने की प्रार्थना की थी कि सरकारी कर्मचारियोंको इस प्रदर्शनमें भाग लेने से रोक दिया जाये। १०. हमने सुझाव दिया था कि यात्रियोंको उतारने का काम उचित समयतक स्थगित कर दिया जाये, बशर्तें कि इसके कारण हमारा जो नुकसान हो उसे, अर्थात् १५० पौंड प्रतिदिनके व्ययको, सरकार उठा ले।

अब हम निवेदन करते हैं कि हमें इनमें से प्रत्येक शिकायत और प्रश्नका उत्तर दिया जाये। हम यह भी प्रार्थना करते हैं कि हमें बतलाया जाये कि सरकारने यात्रियोंके उतारे जानेपर उनकी रक्षाके लिए अगर कोई उपाय किये हैं तो वे क्या है।

जहाजोंको बन्दरगाहसे परे लंगर डाले हुए आज २४ दिन हो गये। इसका खर्च हमपर १५० पौंड प्रतिदिन पड़ रहा है। इसलिए हमें विश्वास है कि आप हमें कल दोपहरतक पूरा उत्तर देने के औचित्यको समझेगे। हम आपको यह सूचना दे देना भी उचित समझते हैं कि यदि हमें ऐसा कोई उत्तर न मिला, जिसमें कि यह आश्वासन दिया गया हो कि हमें गत रविवारसे लगाकर १५० पौंड प्रतिदिनके हिसाबसे हरजाना दिया जायेगा, और हम यात्रियों तथा मालको उतार सकें, इसलिए आप दंगाइयोंको दबाने के उपाय कर रहे हैं, तो हम सरकारके संरक्षणका भरोसा करके जहाजोंको बन्दरगाहमें लाने की तैयारियाँ एकदम शुरू कर देंगे। हमारा सादर निवेदन है कि सरकार हमें यह संरक्षण देने के लिए बाध्य है।