पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 2.pdf/२७३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२५१
प्रर्थनापत्र : उपनिवेश-मंत्रीको

कि इस मामलेको स्पष्ट करके उनके साथ न्याय किया जायेगा। यह जोर देकर कहा गया है कि सरकारके पास ऐसे प्रमाण है जिनसे सिद्ध होता है कि ऐसी एक योजना थी। यदि ऐसा हो तो उन प्रमाणोंको प्रकट कर देना चाहिए, क्योंकि श्री गांधीके विरुद्ध जो आरोप किये गये हैं, उनमें यही मुख्य है। श्री गांधीने माना है कि "यदि उपनिवेशको भारतीयोंसे पाट देने के लिए कोई संगठित प्रयत्न किया जा रहा हो तो प्रदर्शन-समितिके नेताओं और नेटालके अन्य किसी भी व्यक्तिको इसके विरुद्ध वैधानिक आन्दोलन खड़ा करने का पूरा अधिकार होगा।" इस तरह यदि, कुछ लोगोंके कथनानुसार, इस योजनाकी विद्यमानता सिद्ध की जा सके तो श्री गांधीका मुँह बन्द हो जायगा।. . .इसके अतिरिक्त, उन्होंने इस आक्षेपसे भी साफ इनकार किया है कि वे जहाजोंको रोक रखने के कारण लोगोंको सरकारके विरुद्ध मुकदमा चलाने के लिए उकसा रहे थे। यदि कोई प्रमाण इस आक्षेपके पक्षमें हो तो उसे भी पेश कर देना चाहिए। उन्होंने इस बातसे भी इनकार किया है कि वे अपने साथ एक छापाखाना और कुछ कम्पोज़िटर लाये थे और नेटाल आनेवाले यात्रियोंकी संख्या इतनी बड़ी थी जितनी कि बतलाई गई है। निश्चय ही ये मामले ऐसे हैं कि इन्हें एकदम सच्चा या झूठा सिद्ध किया जा सकता है। ये तय हो गये तो बड़ा अच्छा होगा, क्योंकि श्री गांधी जो कह रहे हैं वह यदि सच निकल गया तो उससे पता चल जायेगा कि हालका आन्दोलन अपर्याप्त कारणों और गलत जानकारीके आधारपर आरम्भ किया गया था।. . .साम्राज्य-सरकारकी सहायता लेनी हो तो दृढ़ तथ्योंके सहारे ही आगे बढ़ना उचित है। ऐसा शोर मचाने से हमारे पक्षका समर्थन नहीं होगा कि एक या दो जहाजोंमें हजारों भारतीय चले आ रहे हैं और वे हमारे देशको पाटे दे रहे हैं, और बादमें जब इसकी छानबीन की जाये तो पता लगे कि सौ-दो सौ ही हैं। अत्यक्ति करने से कोई लाभ नहीं होगा।. . .इस सचाईकी ओरसे आँख नहीं मींची जा सकती कि यह पाशविक कार्रवाई, प्रदर्शनके दिन, प्रदर्शन तथा उसके कारणों द्वारा उत्पन्न की हुई उत्तेजनाके जोशमें, और सरकारके प्रतिनिधियोंके इस आश्वासनकी उपेक्षा करके की गई थी कि यात्री पूर्णतया सुरक्षित है। इससे स्पष्ट है कि यदि कहीं प्रदर्शन उस सीमातक पहुँचा दिया जाता, जो कि पहले सोची गई थी, तो बड़े पैमानेपर क्या-क्या हो जाता।—'नेटाल एडवर्टाइज़र १६ जनवरी, १८९७।

[अंग्रेजीसे] सम्राज्ञीके मुख्य उपनिवेश-मंत्री, लन्दनके नाम नेटालके गवर्नरके १० अप्रैल, १८९७ के खरीता नम्बर ६२ का सहपत्र।

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स : पिटीशंस ऐंड डिसपैचेज़ (प्रार्थनापत्र और खरीते), १८९७।