पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 2.pdf/२७५

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३४. पत्र : श्रीमती अलेक्ज़ैंडरको

डर्बन
२४ मार्च, १८९७

श्रीमती अलेक्ज़ैंडर
डर्बन
महोदया,

हम, नीचे हस्ताक्षर करनेवाले, इस उपनिवेशके भारतीय समाजके प्रतिनिधि, इसके साथ आपको अपनी तुच्छ भेंटके रूपमें एक सोनेकी घड़ी, जंजीर और उपयुक्त शब्द उत्कीर्ण किया हुआ लोलक भेज रहे हैं। आपने १३ जनवरी, १८९७ को भारतीयविरोधी प्रदर्शन के संकटके समय एक ऐसे व्यक्तिकी रक्षा की थी, जिससे प्रेम करने में हम आनन्द अनुभव करते हैं। इस कार्यमें आपने कम व्यक्तिगत जोखिम नहीं उठाई। हमारी यह तुच्छ भेंट आपके उसी कार्यकी सराहनाका प्रतीक है।

हमें निश्चय है कि हम आपको कुछ भी दें, वह आपके कार्यका पर्याप्त बदला नहीं हो सकता। आपका कार्य सदैव सच्चे स्त्रीत्वका नमूना बना रहेगा।

आपके, आदि

अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ २१५०) से।

३५. प्रार्थनापत्र : नेटाल विधानसभाको[१]

डर्बन
२६ मार्च, १८९७

सेवामें
माननीय अध्यक्ष व माननीय सदस्यगण
विधानसभा नेटाल
पीटरमैरित्सबर्ग

उपनिवेशवासी निम्न भारतीयोंके हस्ताक्षरकर्ता प्रतिनिधियोंका प्रार्थनापत्र नम्र निवेदन है :

कि आपके प्रार्थी इस प्रार्थनापत्रके द्वारा संक्रामक रोग संगरोध व्यापार-परवाने (ट्रेड लाइसेंसेज), प्रवासी (इमिग्रेशन) और स्वतन्त्र भारतीय संरक्षण (अनकावेनेंटेड

  1. इस प्रर्थनापत्र को नेटाल मर्क्युरीने अपने २९–३–१८९७ के अंकमें प्रकाशित किया था। उसमें इसने कुछ प्रस्ताविक पंक्तियां जोड़ दी थी और थोड़ा शाब्दिक परिवर्तन कर दिया था।

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