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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय

करें। यूरोपीयोंके लिए ऐसा कोई नियम नहीं है। (भारतीयोंके लिए यह कानून गत वर्ष ही बनाया गया था। तबतक उन्हें भी उपनिवेशके सामान्य मताधिकार-कानून के अनुसार मताधिकारी माना जाता था। उस कानूनके अनुसार जो व्यक्ति वयस्क और पुरुष हो और ५० पौंडकी स्थावर सम्पत्तिका स्वामी हो अथवा १० पौंड वार्षिक किराया देता हो वह, यदि दक्षिण आफ्रिकाका वतनी न हो तो, मताधिकारी बन सकता था)।

७. भारतीय विद्यार्थियोंकी योग्यता, चरित्र और हैसियत कुछ भी क्यों न हो, उनके लिए सरकारी हाईस्कूलोंके दरवाजे बन्द हैं।

स्थानीय संसदके वर्तमान अधिवेशनमें जो कानून पास किये जायेंगे, उनका विवरण निम्नलिखित है :

१. गवर्नरको अधिकार हो जायेगा कि वह किसी संक्रामक रोगग्रस्त बन्दरगाहसे आनेवाले किसी भी व्यक्तिको उपनिवेशमें उतरने की इजाजत देनेसे इनकार कर दे, वह व्यक्ति अन्य किसी बन्दरगाहसे ही जहाजपर सवार क्यों न हुआ हो।[१] (प्रधानमंत्रीने संसदमें इस विधेयक के द्वितीय वाचनका प्रस्ताव पेश करते हुए कहा था कि इसके द्वारा नेटाल-सरकार इस उपनिवेशमें स्वतंत्र भारतीयोंका आगमन रोक सकेगी)।

२. नगर-परिषदों और नगर-निकायोंको यह अधिकार प्राप्त हो जायेगा कि वे जिस-किसीको चाहें व्यापार करने का परवाना दे दें, और चाहें तो इनकार कर दें।[२] उनके निर्णयपर देशका उच्चतम न्यायालय भी पुनर्विचार नहीं कर सकेगा। (प्रधानमंत्रीने इस विधेयकके द्वितीय वाचनका प्रस्ताव करते हए संसदमें कहा था कि इस प्रकारका अधिकार इसलिए दिया जायेगा, ताकि भारतीय लोगोंके व्यापार करने के परवाने रोके जा सकें)।

३. उपनिवेशमें आनेवालों को कुछ शर्तों का पालन करने के लिए विवश किया जा सकेगा। उदाहरणार्थ, वे कमसे-कम २५ पौंडकी सम्पत्तिका[३] स्वामी होनेका प्रमाण दें; वे एक नियत फॉर्म किसी यूरोपीय भाषामें भर सकें, इत्यादि। प्रधानमंत्रीके कथनानुसार इस कानूनमें एक अलिखित मान्यता यह है कि इसे यूरोपीय लोगोंपर लागू नहीं किया जायेगा। (सरकारने बतलाया है कि ये तीनों कानून अस्थायी होंगे। उसे आशा है कि उपनिवेशोंके प्रधानमंत्रियोंके पूर्वोक्त सम्मेलनके पश्चात् वह ऐसे विधेयक पेश कर सकेगी जो केवल भारतीयों और एशियाइयोंपर लागू हों। तब उन कानूनोंमें अधिक कठोर पाबन्दियाँ लगाई जा सकेंगी और मनमें कुछ संकोच रखकर कानून बनाने अथवा उसका अधूरा पालन करने की परम्परा को छोड़ा जा सकेगा)।

  1. संगरोध-कानून; देखिए पृ॰ २०४।
  2. देखिए पृ॰ ३०१–२।
  3. सम्पति-सम्बन्धी योग्यताके स्थानपर बादमें एक ऐसी धारा जोड़ दी गई जिसके अनुसार 'कंगाल' मताधिकारसे वंचित थे, देखिए उपधारा ३ (ख), पृ॰ २९७|