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४०. पत्र : जूलूलैंड-सचिवको

बीच ग्रोव, डर्बन
१ अप्रैल, १८९७

श्री सचिव
परमश्रेष्ठ गवर्नर महोदय, जूललैंड
पीटरमैरित्सबर्ग
महोदय,

क्या मैं पूछ सकता हूँ कि परम माननीय उपनिवेश-मंत्रीने नोंदवेनी और एशोवे बस्तियोंके नियमों-सम्बन्धी प्रार्थनापत्रका[१] कोई उत्तर भेजा है या नहीं?

आपका, आदि,
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]

इंडिया ऑफिस लाइब्रेरी जुडीशियल ऐंड पब्लिक फाइल्स १८९७, जिल्द ४६७, नं॰ २५३६/१९१७७

४१. परिपत्र २[२]

डर्बन (नेटाल)
२ अप्रैल, १८९७

श्रीमान्,

हालके भारतीय-विरोधी प्रदर्शनके विषयमें जो प्रार्थनापत्र श्री चेम्बरलेनको भेजा गया था, उसकी एक प्रति मैं आपको भेज रहा हूँ। लंदनमें शीघ्र ही उपनिवेशों के प्रधानमंत्रियोंके सम्मेलनमें, अन्य प्रश्नोंके अतिरिक्त, इसपर भी विचार किया जायेगा। इस कारण यह सर्वथा आवश्यक है कि इस प्रश्नके भारतीय पक्षको यथाशक्ति दृढ़तासे पेश किया जाये। मैं जानता हूँ कि भारतके लोकसेवकोंका सारा ध्यान इस समय दुभिक्ष और प्लेगकी ओर लगा हुआ है। परन्तु अब इस प्रश्नका अन्तिम निर्णय

  1. देखिए खण्ड १, पृ॰ ३१६–१९।
  2. साधन-सूत्र में इसे "टू पब्लिकमैन इन इंडिया" (भारतके लोकसेवकोंको) शीर्षक से दिया गया था। यह निश्चित नहीं हो सका है कि यह पत्र भारतके किन-किन लोगोंको भेजा गया था।

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