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पत्र : ए॰ एम॰ कैमेराॅनको

कर्तव्य समझा। तुरन्त अंग्रेजी, गुजराती, हिन्दी और तमिलमें परिपत्र निकाले गये।[१] उन सबकी नकलें हम इसके साथ भेज रहे हैं।

परन्तु जब डर्बनके मेयर महोदयने चन्देकी एक आम सूची जारी की, तब हमने अपना एकत्रित किया हुआ सारा चन्दा उसमें भेज देनेका निश्चय किया।

यह चन्दा नेटाल-उपनिवेशके सब हिस्सोंसे विशेष कार्यकर्त्ताओंने इकट्ठा किया है। इसमें से कुछ नेटालके बाहरसे भी आया है।

मेयरके पास आजतक जो रकम इकट्ठी हुई है, वह कुल १,५३५ पौंड १ शि॰ ९ पेंस है। इसमें से १,१९४ पौंड भारतीयोंसे प्राप्त हुए हैं।

इसके साथ हम १० शिलिंग और इससे ज्यादा चन्दा देनेवालोंकी सूची भेज रहे हैं। हमारा सुझाव है कि यह सूची भारतके मुख्य-मुख्य दैनिक पत्रोंमें प्रकाशित करा दी जाये।

हमें डर्बनके मेयरकी मार्फत जो धन्यवादका तार मिला है, उसके लिए हम कृतज्ञ हैं। हमारी भावना यह है कि हमने अपने कर्तव्यसे ज्यादा कुछ नहीं किया। अफसोस यही है कि हम अधिक नहीं कर सके।

भवदीय विनीत
दादा अब्दुल्ला ऐंड कं॰
वास्ते—भारतीय समाज

अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस॰ एन॰ २३१७) से।

४८. पत्र : ए॰ एम॰ कैमेरॉनको

५३-ए फील्ड स्ट्रीट,
डर्बन, नेटाल
१० मई, १८९७

प्रिय श्री कैमेरॉन,

आपके दो कृपापत्र मले थे। मेरी पत्नी सौरीमें थीं और दफ्तरके कामका भार भी था। इसलिए, मुझे कहते खेद है, मैं आपके पहले पत्रका जवाब इससे पहले देने में असमर्थ रहा।

हाँ, श्री राय चले गये है। जब हमने सुना कि प्रधान मंत्रियोंका सम्मेलन लंदनमें इस विषयपर विचार-विमर्श करनेवाला है, तब हमने किसीको भेजने का निश्चय किया। श्री रायने स्वेच्छासे अपनी सेवा समर्पित की। उन्हें कोई शुल्क नहीं मिलेगा। उनका किराया और खर्च कांग्रेस देगी।

  1. देखिए पृ॰ १४५–४७।