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प्रर्थनापत्र : उपनिवेश-मंत्रीको
पिछले प्रार्थनापत्रमें उल्लिखित भारतीय विधेयक कानूनके रूपमें गजटमें प्रकाशित। हमारा नम्र निवेदन है विचार स्थगित रखा जाये। प्रार्थनापत्र तैयार कर रहे हैं।

यहाँ उल्लिखित चारों विधेयकोंकी प्रतियाँ इसके साथ नत्थी हैं, और उनपर क्रमशः क, ख, ग और घ चिह्न अंकित हैं।

प्रार्थियोंने इन विधेयकोंके सम्बन्धमें स्थानीय संसदकी दोनों सभाओंतक पुकार करने का साहस किया था,[१] पर उसका कुछ फल नहीं निकला।

माननीय विधानसभाकी सेवामें जो प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया गया था, वह इसके साथ संलग्न है और उसपर चिह्न[२] अंकित है। उसमें दिखलाने का यत्न किया गया है कि परिस्थितियोंसे भारतीयोंके विरुद्ध नये प्रतिबन्ध लगाने का औचित्य सिद्ध नहीं होता, इसलिए ऐसा कोई भी कानून बनाने से पहले इस उपनिवेशकी सारी भारतीय आबादीकी गणना कर लेने की आज्ञा दी जानी चाहिए और यह जांच कराई जानी चाहिए कि इस उपनिवेशमें भारतीयोंकी उपस्थितिसे उपनिवेशको लाभ है या हानि।

संगरोध-विधेयकम गवर्नरको अधिकार दिया गया है कि वह न केवल संक्रामक रोगग्रस्त बन्दरगाहोंसे आनेवाले जहाजोंको बिना कोई यात्री और माल उतारे लौटा सकता है, बल्कि संक्रामक रोगग्रस्त बन्दरगाहसे चले हुए किसी यात्रीको भी नेटालमें उतरने से रोक सकता है, भले ही वह यात्री नेटाल आते हुए मार्गमें किसी अन्य जहाजमें सवार क्यों न हो गया हो। संगरोधके कानूनका प्रयोजन यदि सचमुच संक्रामक रोगोंका प्रवेश रोकना ही हो तो प्रार्थियोंको उसके विरुद्ध कोई शिकायत नहीं हो सकती, भले ही वह कितना भी कठोर क्यों न हो। परन्तु वर्तमान विधेयक नेटालसरकारकी भारतीय-विरोधी नीतिका एक अंगमात्र है। जैसा कि भारतीय-विरोधी प्रदर्शन सम्बन्धी प्रार्थनापत्रमें बतलाया गया है, नेटाल-सरकारने प्रदर्शन-समितिको आश्वासन दिया था[३] कि गवर्नरके संगरोध लगाने के अधिकार बढ़ाने के लिए एक विधेयक तैयार करनेपर विचार किया जा रहा है। प्रस्तुत विधेयककी गणना संसदके वर्तमान अधिवेशनके भारतीय विधेयकोंमें की गई है। 'नेटाल मर्क्युरी' ने अपने २४ फरवरी, १८९७ के अंक में संगरोध तथा अन्य भारतीय विधेयकोंके विषयमें लिखा है :

इस सप्ताह सरकारी गजटमें प्रकाशित किये गये प्रथम तीन विधेयकोंसे सरकारके इस वचनकी पूर्ति हो जाती है कि वह संसदके आगामी अधिवेशनमें भारतीय प्रवासियोंके आगमनके विषयमें विधेयक प्रस्तुत करेगी। परन्तु इनमें से किसी भी विधेयकका सम्बन्ध विशेष रूपसे एशियाइयोंके साथ नहीं है और,
  1. देखिए पृ॰ २५३–५७ और २५९–६०।
  2. यह प्रर्थनापत्र परिशिष्ट के रूप में नहीं दिया जा रहा है। नेटिव विधानसभा को भेजें गये प्रर्थनापत्रके पाठकके लिए देखिए पृ॰ २५३–५७।
  3. देखिए पृ॰ २०३।