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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय

४. जो-कोई व्यक्ति इस कानूनके विरुद्ध नेटाल में उतरेगा उसे, अगर सम्भव हो तो, तुरन्त उसी जहाज से वापस भेज दिया जायेगा, जिससे वह आया हो। और जहाजका अधिकारी ऐसे व्यक्तिको जहाजमें लेने और जहाज-मालिकों के खर्चपर उपनिवेशसे बाहर ले जाने के लिए बाध्य होगा।

५. जिस-किसी जहाज से इस कानूनके विरुद्ध कोई व्यक्ति नेटालमें उतरेगा, उसके अधिकारी और उसके मालिकोंपर ऐसे प्रत्येक व्यक्तिके पीछे कमसे-कम १०० पौंड जुर्माना किया जायेगा। ऐसे किसी भी जुर्मानेको सर्वोच्च न्यायालयसे आदेश प्राप्त करके जहाज से वसूल किया जा सकेगा। जबतक जुर्माना अदा न कर दिया जाये और जबतक जहाजका अधिकारी ऐसे उतारे हुए प्रत्येक व्यक्तिको उपनिवेशसे बाहर ले जानेकी व्यवस्था न कर दे, तबतक जहाजको रवाना होने की अनुमति देनेसे इनकार किया जा सकेगा।

६. इस कानूनको और १८५८ के तीसरे तथा १८८२ के चौथे कानूनको मिलाकर एक कानून समझा जायेगा।

परिशिष्ट ख

वाल्टर हेली-हचिन्सन,
गवर्नर

नं॰ १, १८९७

अधिनियम
"प्रवासियोंपर अमुक प्रतिबन्ध लगाने के लिए"

चूंकि प्रवासियोंपर कुछ प्रतिबन्ध लगाना वांछनीय है :

इसलिए नेटालकी विधानपरिषद और विधानसभाके परामर्श तथा सम्मतिसे महा महिमामयी सम्राज्ञी निम्नलिखित कानून बनाती हैं :

१. इस अधिनियमको "१८९७ का प्रवासी प्रतिबन्धक कानून" (इमिग्रेशन रिस्ट्रिक्शन ऐक्ट, १८९७) कहा जायेगा।

२. यह कानून निम्नलिखितपर लागू नहीं होगा :

(क) जिस व्यक्तिके पास इस कानूनके साथ दी गई सूची क में बताये गये फॉर्म में उपनिवेश-सचिव, नेटालके एजेंट-जनरल या नेटाल-सरकार द्वारा इस कानूनकी पूर्तिके लिए नेटालके अन्दर या बाहर नियुक्त किसी अन्य अधिकारीका हस्ताक्षरित प्रमाणपत्र हो। ::(ख)नेटाल-सरकारने कानन द्वारा अथवा किसी स्वीकृत योजना द्वारा जिस वर्गके लोगोंके नेटालमें आकर बसने की व्यवस्था की हो, उसका कोई भी व्यक्ति।
(ग) उपनिवेश-सचिवके हस्ताक्षरित आज्ञापत्र द्वारा जिस व्यक्तिको इस कानूनके अमलसे मुक्त कर दिया गया हो।