- (घ) सम्राज्ञीकी जल और स्थल सेनाएँ।
- (ङ) किसी भी सरकारके लड़ाईके जहाजके अफसर और चालक।
- (च) साम्राज्य-सरकार या किसी अन्य सरकार द्वारा या उसकी सत्ताके मातहत नेटाल में मुनासिब तौरसे नियुक्त किया गया कोई भी व्यक्ति।
३. निम्नलिखित उपखण्डोंमें जिन वर्गोंकी व्याख्या की गई है, उनके किसी भी व्यक्तिका स्थल या समुद्री मार्ग से नेटालमें आकर बसना वजित है। ऐसे लोगोंको आगे "वर्जित प्रवासी" कहा गया है। वे हैं :
- (क) ऐसा कोई व्यक्ति जो इस कानूनके अनुसार नियुक्त अधिकारीके-माँग करनेपर इस कानूनकी सूची ख में दिये हुए फॉर्ममें उपनिवेश-सचिवके नाम किसी यूरोपीय भाषा तथा लिपिमें अर्जी न लिख सके और हस्ताक्षर न कर सके।
- (ख) ऐसा कोई व्यक्ति जो कंगाल हो और जिसके पालनका भार जनता अथवा सरकारपर पड़ने की संभावना हो।
- (ग) कोई भी अहमक या पागल व्यक्ति।
- (घ) कोई भी व्यक्ति जो किसी घृणित या भयानक संक्रामक रोगसे ग्रस्त हो।
- (ङ) कोई भी व्यक्ति, जिसे पिछले दो वर्षों के अन्दर हत्या या नैतिक अधमताके किसी अन्य अपराध या दुराचरणके कारण सजा हुई हो, और जिसे माफी देकर अपराध-मुक्त न कर दिया गया हो, और जिसका अपराध केवल राजनीतिक न हो।
- (च) कोई भी वेश्या और ऐसा कोई भी व्यक्ति जो किसीकी वेश्यावृत्तिसे जीवन-निर्वाह करता हो।
४. जो वर्जित प्रवासी इस कानूनकी धाराओंकी अवहेलना करके नेटालमें आयेगा या नेटालको सीमामें पाया जायेगा, उसे इस कानूनका भंग करनेवाला माना जायेगा और वह, जो-कुछ भी दूसरा दण्ड दिया जाये उसके अलावा उपनिवेशसे निष्कासनका पात्र होगा। उसे सादी कैदकी सजा दी जा सकेगी, जो ६ माससे अधिक न होगी। शर्त यह है कि अपराधीको देशसे निकाल देने के लिए या अगर अपराधी ५०-५० पौंडकी दो जमानतें देकर एक मासके अन्दर उपनिवेश छोड़कर चले जानेका आश्वासन दे तो, यह कैदकी सजा मंसूख कर दी जायेगी।
५. ऐसे किसी भी व्यक्तिको, जो इस कानूनको धारा ३ के अर्थके अन्तर्गत वर्जित प्रवासी मालूम होता हो और इस तीसरी धाराके उपखण्ड (ग), (घ), (ङ), (च) के अन्दर न आता हो, नीचे लिखी शर्तोंपर नेटालमें प्रवेश करने दिया जायेगा :
- (क) जहाजसे उतरने के पहले वह इस कानूनके अनुसार नियुक्त अधिकारीके पास १०० पौंडकी रकम जमा करे।