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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


११. सपरिषद गवर्नरको परवाने प्राप्त करने के तरीके और परवाना-अधिकारीके निर्णयके खिलाफ निकाय या परिषदके सामने अपीलोंका नियमन करने के नियम बनाने का अधिकार होगा।

परमश्रेष्ठ गवर्नर महोदयके आदेशसे आज तारीख २९ मई, १८९७ को राज्य-भवनमें दिया गया।

टामस के॰ मरे
उपनिवेश-सचिव

परिशिष्ट घ

वाल्टर
हेली-हचिन्सन,

गवर्नर नं॰ २८, १८९७

अधिनियम
"भगोड़े गिरमिटिया भारतीयोंके धोखेमें गैर-गिरमिटिया भारतीयोंको गिरफ्तारीसे संरक्षण देनेके लिए।"

नेटाल विधानपरिषद और विधानसभाके परामर्श तथा सम्मतिसे महा महिमामयी सम्राज्ञी निम्नलिखित कानून बनाती हैं :

१. जो भी भारतीय १८९३ के कानून नम्बर २५ या उसका संशोधन करनेवाले किसी कानूनके अनुसार गिरमिटिया सेवा करने के लिए बाध्य नहीं है, वह अपने विभागके मजिस्ट्रेटकी मारफत या सीधे भारतीय प्रवासी संरक्षकको अर्जी देकर एक परवाना (पास) प्राप्त कर सकता है। इस परवानेपर उसे एक शिलिंगका टिकट लगाना होगा। यह परवाना इस कानूनसे संलग्न सूचीमें दिये गये फॉर्मपर होगा। या, आवेदक इस परवाने के लिए आवश्यक सब जानकारीसे मजिस्ट्रेट या प्रवासी संरक्षकको सन्तोष दिलाकर भी परवाना प्राप्त कर सकता है।

२. इस कानूनके मातहत यह परवाना रखना और दिखा देना परवाना रखनेवाले की हैसियतका प्रत्यक्ष प्रमाण होगा। उसे १८९१ के कानूनके नं॰ २५ की धारा ३१ के अनुसार गिरफ्तार नहीं किया जायेगा।

३. ऐसा परवाना जिस वर्षमें दिया गया हो, उसके बाद वैध नहीं रहेगा। वैध रखने के लिए उसे हर वर्ष मजिस्ट्रेटकी मारफत प्रवासी-संरक्षक के पास भेजकर सकरवाना होगा।

४. अगर भारतीय प्रवासी-संरक्षक, या कोई मजिस्ट्रेट, या जस्टिस ऑफ द पीस, या पुलिसका सिपाही इस कानूनके मातहत मंजूर परवाना न रखनेवाले किसी भारतीयको रोके या गिरफ्तार करे, तो वह भारतीय सिर्फ इस बिनापर गैरकानूनी