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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सलाह दी कि मैं परेशानीसे बचने के लिए श्री लॉरेन्सके लिए मेयरके परवानेकी अर्जी दे दूँ। मेरा खयाल यह था कि खण्ड त (पी) का उपनियम नम्बर १०६ श्री लॉरेन्सपर लागू नहीं होता, इसलिए मैं वह कार्रवाई करने का अनिच्छुक था। परन्तु तीन दिन पूर्व श्री लॉरेन्ससे फिर परवाना दिखाने को कहा गया, हालाँकि जब उन्होंने बताया कि वे कहाँ गये थे तब उन्हें जाने दिया गया। मेरा तो अब भी यही खयाल कायम है कि उक्त कानून श्री लॉरेन्सपर लागू नहीं होता, फिर भी इस तरहकी अड़चन से बचने के लिए, मेरा खयाल है, श्री लॉरेन्सके लिए छूटका परवाना आवश्यक है।

इसलिए मैं उनके लिए ऐसे परवानेका आवेदन करता हूँ।

आपका आज्ञानुवर्ती सेवक
मो॰ क॰ गांधी

[अंग्रेजीसे]
डर्बन टाउन कौंसिल रेकर्ड : जिल्द १३४, नं॰ २३४४६

६०. सरकार बनाम पीताम्बर तथा अन्य[१]

१३ सितम्बर, १८९७

तारीख ११ से आगे कार्रवाई शुरू हुई।
सर्वश्री ऐंडर्सन, स्मिथ और गांधी सफाई-पक्षकी ओरसे हाजिर। :इस्तगासाने अदालतके सामने दलीलें पेश की।
श्री गांधीने जवाब दिया और नीचे लिखी आपत्तियाँ उठाई :
पहली : सरसरी मुकदमा बिना रजामंदीके।
दूसरी : मुकदमेके लिए इस्तगासाका अधिकार-पत्र पेश नहीं किया गया।
तीसरी: सब अभियुक्तोंका मुकदमा एक साथ।।
चौथी : कोई सबूत नहीं कि अभियुक्त वर्जित प्रवासी हैं। ::पाँचवीं : ऐसा कोई आरोप नहीं है कि वे कंगाल है या अंग्रेजी नहीं जानते।
छठी : कोई सबूत नहीं कि वे नेटालमें कब दाखिल हुए।
  1. नेटालके पीताम्बर और कुछ अन्य भारतीय अपना माल बेचने के लिए ट्रान्सवाल गये थे जब वे नेटाल में लौटे तो उन्हें प्रवासी प्रबन्धक कानून के अधीन गिरफ्तार कर लिया गया मुकदमा डंडीमें कई दिनों तक चलता रहा; देखिए "पत्र : नेटाल मर्क्युरीको", पृ॰ ३१४–१७ भी। १३ सितम्बर की कार्रवाईकी जो रिपोर्ट अदालतके मुंशीने लिखी थी, यहाँ उसके कुछ अंश थियेटर गये है।