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६३. पत्र : विलियम वेडरबर्नको

५३ ए, फील्ड स्ट्रीट,
डर्बन, नेटाल
१८ सितम्बर, १८९७

सर विलियम वेडरबर्न
लंदन
श्रीमन्,

नेटालके भारतीय समाजके प्रतिनिधियोंने आपको जो पत्र[१] लिखा है वह और उसीके सम्बन्धमें समाचार-पत्रकी एक कतरन इस पत्रके साथ आपको भेजने का सम्मान मुझे प्राप्त हुआ है। मैं विश्वास करता हूँ कि यदि और कुछ न भी किया जा सका तो भी इसपत्रमें जिस नेटाल-अधिनियमका जिक्र किया गया है उसमें परिवर्तन कराने के लिए तो आप अपने प्रबल प्रभावका उपयोग करेंगे ही।

प्रवास-सम्बन्धी प्रार्थनापत्रकी प्रति अलग लिफाफेमें भेजी जा रही है।

आपका आज्ञानुवर्ती सेवक,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजीकी दफ्तरी प्रतिको फोटो-नकल (जी॰ एन॰ २२८१) से।

६४. पत्र : 'नेटाल मर्क्युरी' को[२]

डर्बन
१३ नवम्बर, १८९७

सम्पादक
'नेटाल मर्क्युरी'
महोदय,

मालूम होता है कि कुछ लोग नेटालके भारतीय समाजके विरुद्ध द्वेष-भावना कायम रखने पर तुले हुए हैं। और, दुर्भाग्यवश, अखबारनवीसोंने अपने-आपको धोखेमें पड़ जाने दिया है। कुछ हफ्ते पहले आपके एक संवाददाताने, जो एक गैरजिम्मेदार

  1. देखिए पृ॰ ३०७–३१२।
  2. यह "इंडियन इन्वेज़न" (भारतीयोंका हमला) शीर्षक से प्रकाशित हुआ।

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