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सम्पूर्ण गांधी वाङ् मय

 

केप कॉलोनी

शुभाशा अन्तरीप[१] नेटालके समान उत्तरदायी शासनवाला उपनिवेश है। वहाँका संविधान नेटालके संविधानके समान ही है। सिर्फ विधानसभा और विधानपरिषदमें सदस्योंकी संख्या ज्यादा है। और मताधिकार-योग्यता भिन्न है। अर्थात्, सम्पत्तिजन्य योग्यता यह है कि ७५ पौंडवाले मकानपर १२ मासतक कब्जा रहा हो। वेतनजन्य योग्यता के लिए ५० पौंड वार्षिक वेतन होना आवश्यक है। जो व्यक्ति मतदातासूचीमें नाम लिखाने का दावेदार हो उसे अपने हस्ताक्षर करना और अपना पता तथा पेशा लिखना आना चाहिए। यह कानून १८९२ में पास किया गया था। इसका सच्चा उद्देश्य भारतीय तथा मलायी मतदाताओंको रोकना था। नेटालमें यदि ऐसी शिक्षासम्बन्धी योग्यताएँ लगा दी जायें या सम्पत्तिजन्य योग्यताको बढ़ा दिया जाये तो भारतीय समाजको कोई आपत्ति नहीं होगी। केप कॉलोनी का क्षेत्रफल २,७६,३२० वर्गमील और कुल आबादी, १८,००,००० है। इस आबादीमें यूरोपीयोंकी संख्या ४,००,००० से ज्यादा नहीं है। भारतीयोंकी संख्या मोटे तौरपर १०,००० होगी और ये छोटे व्यापारी, फेरीवाले और मजदूर हैं। ये मुख्यतः बन्दरगाहमें अर्थात् पोर्ट एलिज़ाबेथ, ईस्ट लन्दन और केप टाउनमें—तथा किम्बर्लीके खान-क्षेत्रोंमें भी—पाये जाते हैं।

भारतीयोंपर जो निर्योग्यताएँ लादी गई हैं उनकी सब जानकारी उपलब्ध नहीं है। १८९४ में संसदने एक विधेयक मंजूर किया था, जिसके द्वारा ईस्ट लन्दनकी म्युनिसिपैलिटीको अधिकार दिया गया था कि वह भारतीयोंको पैदल-पटरियोंपर चलने से रोकने और निर्दिष्ट बस्तियोंमें रहने के लिए बाध्य करने के उपनियम बना ले। इस विषयमें दक्षिण आफ्रिकासे श्री चेम्बरलेनके पास कोई विशेष प्रार्थनापत्र नहीं भेजा गया। परन्तु गत वर्ष भारतीयोंका जो शिष्टमण्डल श्री चेम्बरलेनसे मिला था, उसने इस विषयकी थोड़ी-सी चर्चा अवश्य कर दी थी।

केप कॉलोनीके विभिन्न भागों या जिलोंमें किसी भारतीयके लिए रोजगार करने का परवाना प्राप्त करना अत्यन्त कठिन होता है। अनेक मामलोंमें तो मजिस्ट्रेट परवाने देनेसे एकदम इनकार कर देते हैं और इसके कारण भी नहीं बताते। कारण न बताना मजिस्ट्रेटोंके अधिकारकी बात है। परन्तु हमेशा ही देखा गया है कि जब भारतीयोंको परवाने नहीं दिये गये तब यूरोपीयोंको दे दिये गये हैं। ३ मार्च, १८९६ के 'नेटाल मर्क्युरी' के अनुसार, कॉलोनीके एक जिले ईस्ट ग्रिक्वालैंडमें भारतीयोंकी स्थिति यह है :

इस्माइल सुलेमान नामक एक अरबने ईस्ट ग्रिक्वालैंडमें एक वस्तुभंडार बनवाया। उसने मालपर तट-कर अदा कर दिया और परवानेके लिए अर्जी दी, जिसे मजिस्ट्रेटने नामंजूर कर दिया : श्री अटर्नी फ्रान्सिसने उस अरबको ओरसे

  1. केप ऑफ गुडहोप।