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भाषण : मद्रासकी सभामें

सदस्यके शब्दोंमें, "उपनिवेशका अस्तित्व डाँवाँडोल था", उसमें गिरमिटिया भारतीयों को दाखिल किया गया था। इस प्रकारका प्रवास कानून द्वारा नियंत्रित है। इसकी अनुमति कुछ कृपापात्र राज्योंको ही दी गई है। उदाहरणके लिए मारीशस, फिजी, जमैका, स्टेट्स सेटल्मेंट्स, डमरारा और अन्य राज्योंमें इस प्रकारके प्रवासी जा सकते है। इन्हें केवल कलकत्ता और मद्राससे जानेकी अनुमति है। इस प्रवास के कारण एक अन्य प्रतिष्ठित नेटाली श्री सांडर्स के शब्दोंमें :

भारतीयोंके आगमनसे समृद्धिका आगमन हुआ। भाव बढ़ गये। अब लोग वस्तुएँ उपजाने और उपजको मिट्टीके मोल बेच देने-भरसे सन्तुष्ट नहीं रहने लगे। वे कुछ ज्यादा कमा सकते थे।

चीनी और चायके उद्योग, उपनिवेशकी सफाई और साग-सब्जी तथा मछलियोंकी आवश्यकता की पूर्ति पूरी तरहसे कलकत्ता और मद्राससे आये हुए गिरमिटिया भारतीयों पर अवलम्बित है। लगभग सोलह वर्ष पूर्व गिरमिटिया भारतीयोंको उपस्थितिसे स्वतंत्र भारतीय भी व्यापारियोंके रूपमें वहाँ खिचे। पहले-पहल वे अपने ही बन्धु-बान्धवोंकी जरूरत पूरी करने के लिए वहाँ गये थे। परन्तु बादमें उन्होंने दक्षिण आफ्रिकाकी जूलू या काफिर जातिके लोगोंको बड़े फायदेका ग्राहक पा लिया। ये व्यापारी मुख्यतः बम्बईके मेमन मुसलमान है। ये अपनी अपेक्षाकृत कम दुर्दैवी स्थितिके कारण वहाँकी भारतीय आबादीके द्वितोंके संरक्षक बन गये है। इस तरह मुसीबत और स्वार्थों की एकताने तीनों प्रदेशोंसे आये भारतीयोंको एक ठोस समाजके रूपमें संगठित कर दिया है। अगर जरूरी ही हो जाये तब तो बात अलग है, नहीं तो वे अपने-आपको मद्रासी, बंगाली या गुजराती कहलाने के बजाय भारतीय कहलाने में गौरव अनुभव करते हैं। मगर यह तो प्रसंगवश कह गया।

अब ये भारतीय सारे दक्षिण आफ्रिकामें फैल गये हैं। नेटालका शासन मतदाताओं द्वारा चुने हुए ३७ सदस्योंकी एक विधानसभा, सम्राज्ञीके प्रतिनिधि गवर्नर द्वारा नामजद किये हुए ११ सदस्योंकी विधानपरिषद और ५ सदस्योंके एक परिवर्तनशील मंत्रिमंडल द्वारा होता है। उसमें यूरोपीयोंकी आबादी ५०,०००, देशी लोगोंकी ४,००,००० और भारतीयोंकी ५१,००० है। इन ५१,००० भारतीयोंमें से लगभग १६,००० इस समय अपने गिरमिटकी अवधि पूरी कर रहे हैं। ३०,००० गिरमिटकी अवधि पूरी करके घरेलू नौकरों, बागबानों, फेरीवालों और छोटे-छोटे दुकानदारों आदिके कामोंमें लगे हैं। लगभग ५,००० ऐसे हैं जो अपने-आप वहाँ जाकर बसे हैं। वे या तो व्यापारी हैं, या दूकानदार हैं, या सहायकों अथवा फेरीवालोंका काम करते है। थोड़े-से लोग स्कूलोंमें शिक्षक, दुभाषिये और मुहरिर भी हैं।

शुभाशा अन्तरीप (केप ऑफ गुड होप) के स्व-शासित उपनिवेशमें, मेरा खयाल है, भारतीयोंकी संख्या १०,००० है। ये व्यापारी, फेरीवाले और मजदूर है। उपनिवेशकी कुल आबादी लगभग १८ लाख है। उसमें यूरोपीयोंकी संख्या ४ लाखसे अधिक नहीं है। शेष लोग उसी देशके और मलायाके निवासी हैं।