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३९. टिप्पणियाँ

विचित्र आदेश

“शराबकी दुकानके आसपास तथा गाँवमें शराब पीनेके लिए जानेवाले लोगोंको परेशान न करनेके सम्बन्धमें" बड़ौदा सरकारकी ओरसे एक विज्ञप्ति निकाली गई है जिसे देखकर बहुत दुःख होता है। यह विज्ञप्ति निम्नलिखित है ।'

शराब पीनेकी यह स्वतन्त्रता कैसी होगी? इसमें शक नहीं कि चोरी करनेवाले-को चोरी करनेका अधिकार है, लेकिन क्या साहूकारको उसे चोरी करनेसे रोकनेका भी अधिकार नहीं ? कानून तो लोगोंको चोरको मार भगानेका अधिकार भी देता है। तो फिर चोरकी स्वतन्त्रताकी रक्षा किस तरह हो सकती है ? मद्य-निषेध कराने-वाले लोग तो शराबीको समझा-बुझाकर रोकते हैं। इसमें स्वतन्त्रता कहाँ भंग हुई ? बड़ौदा सरकारकी विज्ञप्तिका स्पष्ट रूपसे यह अर्थ निकलता है कि कदाचित् शराब पीना एक सद्गुण है और शराबकी दुकानका अस्तित्व ही कदाचित् लोगोंके लिए लाभदायक है। शराबीको अथवा मद्य-विक्रेताको कोई गाली दे, कोई उसे मारे अथवा उसपर अन्य प्रकारसे अत्याचार करे तो उसे बड़ौदा सरकार दण्ड दे; उसके विरुद्ध निषेधादेश जारी करे यह तो उचित है। लेकिन शराबकी दुकानोंके आसपास खड़े होकर शराबीको अग्निमें न कूदनेके लिए कहने तथा उसे शर्मिन्दा करनेवाले व्यक्तिको अपराधी मानना, यह तो शराबीको प्रोत्साहित करनेके समान हुआ। मैंने बड़ौदाकी राजनीतिको कमसे कम इतना लज्जाजनक तो नहीं माना था। मुझे तो अभीतक यही उम्मीद है कि ऐसी विज्ञप्ति विचारपूर्वक नहीं निकाली गई अपितु किसी निरंकुश अधिकारीने अपनी ही जवाबदेहीपर इसे जारी किया है। यदि यह अनुमान सही है तो मैं बड़ौदा सरकारकी ओरसे इसे रद किये जानेका एक अन्य आदेश जारी किये जानेकी उम्मीद रखता हूँ ।

शराबसे होनेवाली आय

जनताको यह बात ध्यानमें रखनी चाहिए कि आज शराब और अफीम आदिसे होनेवाली आयसे हमारे बच्चे शिक्षा पाते हैं। अगर नीति और धर्म सम्बन्धी हमारे विचार मन्द न पड़े हों तो इस विषयकी ओर हम पूरा ध्यान दें तथा अपने बच्चोंको पापकी कमाईसे शिक्षा न दें। चाहे जो हो, स्वराज्य मिलनेपर हमें इस बातसे जल्दसे-जल्द छुटकारा पाना है। शराब आदिका व्यापार हम कदापि न करें। हम जानते हैं कि प्रजा ऐसी स्थितिमें नहीं है कि वह नये करके बोझको सँभाल सके । बल्कि करोंको तो हमें और भी कम करना होगा और तिसपर आज जितने बालकोंको शिक्षा मिलती है उसकी अपेक्षा कहीं अधिक बालकोंको हमें शिक्षा देनी होगी। मैंने जो

१. इसे यहाँ उद्धृत नहीं किया जा रहा है। विज्ञप्तिका आशप यह था कि शराब खरीदनेके लिए जो लोग दुकान में जाना चाहते हैं उनकी स्वतन्त्रता में लोग, विशेषत: विद्यार्थी बाधक न बनें ।