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जैसे-जैसे हम लोग चरखेको छोड़ते गये वैसे-वैसे हम पराधीन होते गये अथवा हमें अपंग बनानेके कार्यमें ईस्ट इंडिया कम्पनीकी दिलचस्पी बढ़ती गई।

आभूषणों आदिका क्या होगा ?

यही सज्जन एक अन्य पत्रमें लिखते हैं कि मैं प्रत्येक स्थानसे आभूषण और चन्दा इकट्ठा किया करता हूँ। लोगोंको मुझपर विश्वास है । लेकिन यदि सब लोगों-पर मैं नियन्त्रण न रख सकूँ अथवा इस आन्दोलनके साथ मेरा सम्बन्ध न रहे तो इतने पैसों और आभूषणों आदिका क्या होगा? यह प्रश्न भी उपर्युक्त प्रश्नके समान ही महत्त्व-पूर्ण है। मैं जहाँ-जहाँसे पैसे और आभूषण इकट्ठे करता हूँ उन्हें यदि वहाँकी प्रान्तीय समिति स्थापित हो चुकी है तो उसे सौंप आता हूँ। और मुझे विश्वास है कि वहाँ उसका पूरा हिसाब रखा जाता है। जैसे कि मैंने बंगालमें चन्देकी रकमका पूरा-पूरा हिसाब श्री चित्तरंजन दासको सौंपा, बिहारमें वहाँके मन्त्री बाबू राजेन्द्रप्रसादको,' संयुक्त प्रान्तमें पण्डित जवाहरलाल नेहरूको, मध्य प्रान्तमें सेठ जमनालालको, दिल्लीमें डाक्टर अंसारीको, पंजाबमें लाला लाजपतरायको,´ उत्कलमें श्री गोपबन्धु दासको, आन्ध्र देश में श्री वैंकटप्पैयाको, मद्रासमें श्री राजगोपालाचारीको, कर्नाटकमें श्री गंगाधरराव देशपाण्डेको, महाराष्ट्रमें श्री नरसोपन्त केलकरको, बम्बईमें श्री शंकरलाल बैंकरको और गुजरात में श्री वल्लभभाई पटेलको सौंपा है। सिन्धमें सारे प्रान्तके लिए अभी नई समिति नहीं बनी है और प्रान्तके भिन्न-भिन्न भागों में परस्पर मेल नहीं है, इसलिए मैं वहाँके चन्देकी रकम अपने साथ ले आया हूँ और कांग्रेस समितिके द्वारा मैं इस रकम-की क्या व्यवस्था की जाये, इस बातपर विचार कर लेना चाहता हूँ। मैंने जहाँ-जहाँ और जिन व्यक्तियोंको आभूषणों और पैसेकी व्यवस्थाका भार सौंपा है वहाँ-वहाँ वे लोग स्वयं प्रतिष्ठित हैं। वे समिति के अध्यक्ष अथवा मन्त्री हैं और उनपर खद मुझे विश्वास है। चन्दा देनेवालों को मैं बता चुका हूँ कि दानकी रकमकी व्यवस्था किस तरह की जायेगी । प्रत्येक स्थानकी कांग्रेस समिति इन सब पैसोंका हिसाब रखने तथा उसे प्रकाशित करनेके लिए बाध्य है । सब समितियोंपर अखिल भारतीय कांग्रेसका अंकुश है। इसलिए इस पैसेके सम्बन्ध में गड़बड़ी होनेकी सम्भावना बहुत कम है। इससे अधिक

१. १८८४-१९६३; भारतके प्रथम राष्ट्रपति ।

२. जमनालाल बजाज (१८८९-१९४२); प्रसिद्ध गांधीवादी उद्योगपति; जिन्होंने गांधीजीकी योजनाओं में भरपूर सहयोग दिया। गांधीजीके निकटतम साथियों और सलाहकारों में से एक ।

३. मुख्तार अहमद अंसारी ( १८८०-१९३६); राष्ट्रवादी मुस्लिम नेता; इंडियन मुस्लिम लीग के अध्यक्ष, १९२०; भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके अध्यक्ष, १९२७-२८ ।

४. १८६५-१९२८; समाज-सुधारक तथा पत्रकार । १९२० में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके कलकत्ता अधिवेशन के अध्यक्ष, लोक सेवक समाज (सवेंन्ट्स ऑफ पीपुल्स सोसाइटी) के संस्थापक ।

५. चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (जन्म १८७९); वकील, पत्रकार, लेखक और राजनीतिज्ञ; स्वतन्त्र भारतके प्रथम गवर्नर जनरल, १९४८-५० ।

६. गंगाधरराव बालकृष्ण देशपाण्डे; कर्नाटकके प्रसिद्ध राजनीतिक कार्यकर्ता जो कर्नाटक-केसरी' के नामसे प्रसिद्ध है ।

७. शंकरलाल बैंकर; सामाजिक कार्यकर्ता और अहमदाबाद के मजदूर-नेता। यंग इंडिया के प्रकाशक ।