पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/१३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०९
हिन्दुओ सावधान


हिन्दू लोग मुसलमानोंको मांस और यहाँतक कि गो-मांस छोड़नेके लिए भी विवश नहीं कर सकते। शाकाहारी हिन्दू दूसरे हिन्दुओंको मांस-मछली या बटेर न खानेके लिए मजबूर नहीं कर सकते। मैं तलवारके जोरपर भारतवासियोंको संयमी नहीं बनाऊँगा। हिंसाने देश में जितनी पस्ती पैदा की है उतनी दूसरी किसीभी चीजने नहीं की। भय हमारे राष्ट्रीय चरित्रका एक हिस्सा बन गया है। यदि असहयोगी हिसाके जोरसे लोगोंको अपने मतका समर्थक बनाना चाहते हैं तो वह उनकी भयंकर भूल होगी। यदि उन्होंने अपने प्रचार-आन्दोलन के दौरान किसीके साथ जरा भी जोर- जबरदस्ती की तो वह तो सरकारके हाथोंमें खेलना ही होगा।

गोरक्षाका प्रश्न एक बड़ा प्रश्न है। हिन्दुओंके लिए तो वह सबसे बड़ा है। मैं गायकी इज्जत किसीसे भी कम नहीं करता। हिन्दू लोग तबतक अपना धर्म नहीं निभा सकते जबतक वे गोरक्षा करनेकी सामर्थ्य अपनेमें पैदा नहीं करते। ऐसी सामर्थ्य या तो शारीरिक बलसे पैदा हो सकती है या आत्मिक बलसे। हिंसा के जोरपर गोरक्षा करना हिन्दू धर्मको आसुरी धर्म और गोरक्षाके माहात्म्यको एक घटिया काम बना देना होगा। एक मुसलमान मित्रने ठीक ही लिखा है कि इस मामलेमें अगर हिन्दुओंने जोर- जबरदस्ती की तो गो-मांस खाना मुसलमान अपना फर्ज समझने लगेंगे, क्योंकि सिर्फ इस्लाममें उसकी इजाजत है। हिन्दू लोग अपने अन्दर जान देनेकी ताकत, कष्टसहन करने की ताकत पैदा करके ही गायकी रक्षा कर सकते हैं। भारतमें कसाईकी छुरीसे गायकी रक्षा करनेका एक ही तरीका हिन्दू के सामने है और वह यह है कि आज इस समय इस्लामके ऊपर जो खतरा मँडरा रहा है उससे इस्लामको बचानेकी कोशिश करे और भरोसा करे कि उसके मुसलमान देशवासी सही रास्तेपर आ जायेंगे, यानी वे अपने हिन्दू देशवासियोंका खयाल करके खुद ही गायकी रक्षा करने लगेंगे। हिन्दुओंको बड़ी सावधानी रखनी चाहिए कि मुसलमानोंके खिलाफ कहीं कोई हिंसा न हो। कष्ट-सहन और पारस्परिक विश्वास — ये दोनों आत्मिक बलके ही गुण हैं। मैंने सुना है कि बड़े-बड़े मेलोंमें किसी मुसलमानके पास लोग यदि गायें या बकरियाँ भी पाते हैं तो कभी-कभी जबरन उनको छीन लेते हैं। जो लोग अपनेको हिन्दू बतलाकर ऐसी हिंसा करते हैं, वे गौ और हिन्दू धर्म दोनों ही के शत्रु हैं। गौको बचानेका सर्वोत्तम और एकमात्र मार्ग यही है कि खिलाफतको बचाया जाये। इसीलिए आशा है कि हरेक असहयोगी गोरक्षा या किसी भी अन्य पशुकी रक्षा करनेमें या दूसरे किसी भी कामके दौरान हिंसाकी किंचित् प्रवृत्तिको भी हर रूपमें रोकनेकी ज्यादासे ज्यादा कोशिश करेगा।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १८-५-१९२१