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भाषण : भुसावलमें


दृढ़ प्रतिज्ञा कर लेनी चाहिए। तब आप लोगोंको धर्म-राज्य मिल जायेगा। आप लोगों- को याद रखना चाहिए कि कोई अशुद्ध हृदयवाला पापात्मा, असहयोगके युद्धमें सफल नहीं हो सकता। लोकमान्यको देखिए।[१] आप लोगोंको लोकमान्यकी पूजा करनी चाहिए। परन्तु केवल एक करोड़ रुपया इकट्ठा करके, जो एक मामूली बात है, आपको इस महान् देशभक्तकी पूजा नहीं करनी है। लोकमान्यने जिसे अपना जीवन समर्पित कर दिया था, एक करोड़ रुपया इकट्ठा करके आप उस स्वराज्यको हासिल करें।[२]

लोकमान्य स्वराज्यकी आत्मा थे। स्वराज्य उनके जीवनका ध्येय था। उनकी आत्मा आपसे जानना चाहती है कि आप स्वराज्यके लिए क्या कुछ करनेको तैयार हैं। क्या उनकी स्मृतिको अमर बनानेके लिए आप लोग एक करोड़ रुपया इकट्ठा नहीं कर सकते? आप लोग जबतक विदेशी कपड़ा नहीं छोड़ देते, स्वराज्य पास आनेका नाम नहीं लेगा। अगर कोई खादी न पहने, बिना महीन मलमलके अपना काम न चला पाये तो मैं उसके घरमें पाँव न रखूं। अभीतक मैं सरकारसे यह करो वह करो, कहता रहा। अब मैं लोगोंको उनका कर्त्तव्य बताना चाहता हूँ। मैं उनका दास हूँ; लेकिन कुछ शर्तोंपर। उन [ शर्तों ] के पालनसे मेरी सेवा मिलेगी। पाँव छूनेमें तो केवल पतन ही है। आप लोगोंको अहिंसात्मक असहयोगके सिद्धान्तोंपर दृढ़ रहना चाहिए। हिंसात्मक कोई भी कार्य अपनी प्रतिज्ञाको तोड़ता है और मालेगाँवकी क्रूरताओं- के समान घृणित है। आप लोगोंको हिन्दू-मुस्लिम एकताके महत्त्वको कभी नहीं भूलना चाहिए। और मेरे हिन्दू भाइयोंको चाहिए कि वे इस समय गोरक्षाका प्रश्न अपने मुसलमान भाइयोंकी भलमनसाहतपर छोड़ दें। मुझे आशा है कि वे इस प्रश्नका सन्तोषजनक निपटारा करेंगे। खासकर ऐसी हालत में जब गोमांस खाना उनके धर्मके अनुसार आवश्यक नहीं है।

बहनोंको महीन कपड़े पहनना छोड़कर खद्दर आरम्भ करना चाहिए। आप लोगोंको जगज्जननी सीताका अनुकरण करना चाहिए। जिन्होंने रावण द्वारा अपने सन्मुख रखे हुए उत्तमोत्तम पदार्थोंको त्याग कर, फलाहारपर जीवन निर्वाह करना उचित समझा था।

अस्पृश्यताके विषयमें मुझे यह कहना है कि यह वेद विहित नहीं है और हिन्दू धर्मके सिद्धान्तोंके बाहर है परन्तु इस प्रथाके सुधारका अर्थ आपसमें रोटी-बेटी व्यवहार आरम्भ करना नहीं है।

अन्तमें मुझे यह कहना है कि जूनके अन्तमें मेरा यह घूमकर व्याख्यान देना बन्द हो जायेगा। मैं इसी अवधिमें आवश्यक रकम इकट्ठी कर लेनेकी आशा करता हूँ।[३]

आज, २९-५-१९२१

२०-८

  1. सभा-स्थलपर लोकमान्यकी प्रतिमाकी ओर संकेत करते हुए।
  2. आगेका अनुच्छेद नवजीवन में प्रकाशित गांधीजीके यात्रा-विवरणसे अनूदित है।
  3. भाषण समाप्त होनेपर चन्दा एकत्रित किया गया और लगभग ४ हजार रुपया इकट्ठा हुआ। कुछ स्त्रियोंने अपने आभूषण भी दिये।