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६३. भाषण : बरसीमें[१]

२४ मई, १९२१

हमारे भाईने बड़े उल्लासपूर्वक कहा कि बरसी जिला[२] खुशीसे अपने हिस्सेका काम पूरा कर लेगा। मैं भाई सुलाखेको उनके हिसाब लगानेके ढंगपर बधाई नहीं दे सकता। यदि हिन्दुस्तान के प्रत्येक जिले, ताल्लुके और फिरकेके लोग ऐसा उलटा हिसाब करने लगें तब तो हिन्दुस्तानका हर व्यक्ति दो पैसे देकर अपनी जिम्मेदारीसे मुक्त हो जायेगा। लेकिन इन तीस करोड़ में से तीन करोड़ तो ऐसे हैं कि जिन्हें एक दिनका पूरा खाना भी नहीं मिलता। ऐसे तीन करोड़ लोगोंसे कौन दो-दो पैसे लेगा? हिन्दुस्तानके अपाहिजोंसे कौन पैसे उगाहेगा? बम्बईवाले कहते हैं कि हमारा हिस्सा पूरा हो गया ऐसा कहकर यदि वे चुपचाप बैठ जायें तो हम कभी अपना काम नहीं कर सकेंगे। ऐसे हिसाब-किताबको छोड़नेपर ही काम चल सकता है। प्रत्येक स्त्री-पुरुषको विचार करना, समझना चाहिए कि हिन्दुस्तानमें एक करोड़ रुपया इकट्ठा करनेके लिए एक व्यक्तिको कितना देना उचित होगा? मैं तो पूछता हूँ कि आपके जिलेके लोगोंकी कितनी शक्ति है? हम तिलक महाराजकी पूजा करते हैं, हमें उनके जीवनसे कुछ-न-कुछ सबक सीखना चाहिए। क्या उन्होंने कभी ऐसा विचार किया था कि जितना प्रत्येक भारतीय देता है मैं भी देशको उतना ही देकर चुपचाप बैठ जाऊँ? उन्होंने तो अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। मैं आपसे पूछता हूँ कि इस तरह सर्वस्व समर्पित कर देनेवाले कितने लोग हैं? सर्वस्व देनेकी बात तो छोड़ दें, आप जितना दे सकते हैं क्या आप सचमुच उतना दे चुके? परमेश्वर किसीसे शक्ति के बाहर कुछ नहीं माँगता। यदि कोई अपनी सामर्थ्य-भर नहीं देता तो वह देशद्रोही है, अपने गाँवका द्रोही है। आप अपने द्रोही न बनें। मैं यह चाहता हूँ कि आप अपने-आपको धोखा न दें। हमें एक बहुत बड़े साम्राज्य के विरुद्ध लड़ना है। इस साम्राज्यने हमें धोखा दिया है, दगा दिया है और पेटके बल चलाया है। इसे हम दगाबाजीसे अथवा शैतानियतसे नहीं मिटा सकते। दगाबाजीका उपाय कुलीनता है और शैतानियतका सामना ईश-भक्तिसे होगा। आप अपने-आपको धोखा न दें। आप तिलक महाराजकी स्मृतिको कायम रखना चाहते हैं तो मैंने आज आपको जो शस्त्र बताया है उस शस्त्र के द्वारा आप तिलक महाराजकी संवत्सरी आनेसे पहले उस चीजको प्राप्त करें जो आपका जन्मसिद्ध अधिकार है।

जब आपने मुझे यह बताया कि २५ चरखे हैं और उनसे तैयार की गई खादी बम्बई और पूना जाती है तो मेरा हृदय रोने लगा। यहाँसे खादी बाहर जाये इसका अर्थ तो यह है कि आपको महीन कपड़ा चाहिए इसलिए आप यहाँ खादीका उपयोग

  1. गांधीजीके यात्रा-विवरणसे उद्धृत।
  2. वस्तुतः महाराष्ट्र के शोलापुर जिलेका एक ताल्लुका।