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६४. टिप्पणियाँ

मौलाना मुहम्मद अली

‘इंडियन सोशल रिफॉर्मर’ ने मुझे इसलिए आड़े हाथों लिया है कि मैंने मौलाना मुहम्मद अलीके मद्रासवाले भाषणके बारेमें कुछ नहीं कहा और न लाला लाजपतरायके बम्बईवाले भाषणकी आलोचना की। सम्बन्धित अनुच्छेदमें जिन युक्तियों और वक्रोक्तियोंकी भरभार है, उनके बारेमें में कुछ नहीं कहूँगा। आलोचक यह नहीं जानते कि किन-किन कठिनाइयोंमें मैं ‘यंग इंडिया’ का सम्पादन करता हूँ। अखबार तो मैं बहुत ही कम पढ़ पाता हूँ। लगातार यात्रामें रहनेके कारण अखबार मुझे मिल तक नहीं पाते। फिर भी यह आलोचना पढ़नेके बाद मैंने शिमला में खास तौरपर वह अखबार मँगवाया जिसमें मौलानाका भाषण छपा था। मैंने उसे अभी-अभी पढ़ा है। भाषणके जिस अंशकी आलोचना की गई है, उसे मैंने दो बार पढ़ा और मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि उसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे आपत्तिजनक कहा जा सके। इलाहाबाद में पत्रकारोंके साथ अपनी मुलाकात के अवसरपर उन्होंने जो कहा था उससे यह भाषण बेमेल भी नहीं है। मद्रासवाले भाषणमें उन्होंने सिर्फ मुसलमानोंका दृष्टिकोण पेश किया है। मुसलमानोंके आदर्श आचरण के बारेमें मेरे बताये हुए विधि-निषेधोंको उन्होंने अपनी इलाहाबादवाली मुलाकात में मान लिया था। इसमें तो कोई शक ही नहीं कि अगर मुसलमानोंको हथियार उठाने पड़ें तो वे ऐसा इस्लामकी रक्षाके लिए ही करेंगे। कब्जा करनेका इरादा किये बगैर अफगान महज अंग्रेजोंको हरानेकी गरजसे भारतपर हमला नहीं कर सकते; हमारे ऐसा मान लेनेके कारण ही मुश्किल पेश आती है। अगर बात ऐसी ही है और अगर मुसलमान भारतके प्रति सच्चे हैं तब तो मुमकिन होते हुए भी वे अफगानोंसे हाथ नहीं मिलायेंगे। मुसलमानोंको अपना सच्चा दृष्टिकोण पेश करनेका धार्मिक और सैद्धान्तिक अधिकार है, इससे तो हम इनकार नहीं करेंगे। उलटे इसके लिए हमें उनकी इज्जत करनी चाहिए। अली भाइयों का सबसे बड़ा गुण है उनकी दिलेरी और ईमानदारी। और मद्रासके भाषण में इन दो गुणोंके अलावा मुझे और कोई बात ढूंढे नहीं मिलती।

लाला लाजपतराय

सबसे पहले तो ‘इंडियन सोशल रिफॉर्मर’ को यह बता देना उचित होगा कि काम करनेका मेरा तरीका क्या है। लालाजीके भाषणकी कटु आलोचनाका जिक्र करते हुए मेरे सहयोगीने पूछा कि क्या मैं उसके बारेमें कुछ कहना चाहूँगा। मेरे पास न तो उनका भाषण था और न उसकी कोई आलोचना ही मुझे देखनेको मिली थी। तब मैंने जानकारीके लिए लालाजीको लिखा और साथ ही यह सुझाव दिया कि अगर जल्दबाजी में वे कोई ऐसी-वैसी बात कह गये हों तो उन्हें फौरन माफी मांग लेनी चाहिए। मेरा उनका सम्बन्ध निकटका है, और इसीलिए मुझे यह सौभाग्य प्राप्त है कि मेरे साथ