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६८. मध्य-प्रान्त में दमन

हर एक सूबेमें दमन अलग-अलग शक्लें अख्तियार करता जा रहा है। संयुक्त प्रान्त में[१] आमतौरसे नेताओंको गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। किसानोंके नाम परिपत्रके लेखक पं० मोतीलाल नेहरू तो गिरफ्तार नहीं किये गये, मगर उस पर्चेको बाँटनेवाले नौजवानोंको पकड़कर जेल भेज दिया गया है। उधर मध्य-प्रान्तमें जाने-माने नेता पकड़े जा रहे हैं और सरकारकी मर्जीका खयाल करके चलनेवाले मजिस्ट्रेट उन्हें धड़ाधड़ सजाएँ दे रहे हैं। ताजा उदाहरण श्री सुन्दरलालकी गिरफ्तारी और सजा है। मध्य-प्रान्तके[२] छात्रोंपर जैसा असर उनका है वैसा शायद ही किसी औरका होगा। वहाँ हिंसाको रोके रखनेमें उनका बड़ा हाथ रहा है। लेकिन साथ ही वे बड़े दिलेर हैं और उनके बोलनेका लोगोंपर असर पड़ता है। इसलिए मध्य प्रान्तकी सरकारने इस दृष्टिसे कि वे कोई नुकसान न पहुँचा पायें, उन्हें अपने रास्तेसे हटा देना ही ठीक समझा। श्री सुन्दरलालपर जो आरोप लगाये गये वे इस प्रकार हैं:

१९२१ के मार्च महीनेकी दूसरी तारीखको या उसके आसपास खरगौनमें आपने जो भाषण (लगभग ५,००० लोगोंके सामने) दिया उसका सार यह था कि भारतका शोषण करके उसे पूरी तरह गरीब और लाचार कर देनेकी गरज- से ही यहाँ ब्रिटिश सरकार बेईमानीके साथ चलाई जा रही है; मुल्कको बाकायदा तबाही की ओर ले जानेवाली बीमारियों, अकाल, उद्योग-धन्धोंकी बरबादी और दूसरी सारी बुराइयोंके लिए अंग्रेज सरकार ही जिम्मेदार है; इस सरकारने मुसलमानोंसे किये वादोंको तोड़ा और पंजाबमें हद दर्जेका अत्याचार और दमन किया है, इससे लोगोंका इस सरकारपर से बिलकुल विश्वास उठ गया है। इन सारी बुराइयोंको मिटानेका एकमात्र उपाय है अहिंसात्मक असहयोगके हथियार से भारत में ब्रिटिश शासनको पूरी तरह खत्म कर देना। ऐसे भाषण से आपने ब्रिटिश भारतमें कानूनन स्थापित सरकारके प्रति अश्रद्धा पैदा की या करनेकी कोशिश की या राजनैतिक असन्तोष भड़काया या भड़कानेकी कोशिश की और इस तरह भारतीय दण्ड संहिता की धारा १२४-ए के मातहत दण्डनीय अपराध किया, जो मेरे न्यायाधिकारमें है।

आरोप बिलकुल साफ। आरोप यह नहीं है कि हिंसा की या हिंसा करनेका इरादा किया, आरोप सिर्फ अश्रद्धा फैलानेका है। इस आरोपमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो पिछले बारह महीनोंमें हजारों सभाओंमें बार-बार न कहा गया हो। वास्तवमें असहयोगीका तो यह धर्म ही है कि वह सरकारके प्रति जनताकी अश्रद्धाको व्यक्त करे,

  1. अब उत्तर प्रदेश।
  2. अब मध्य प्रदेश।