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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


करा सकते हैं? मुझे पूर्ण आशा है कि आप अपने कर्त्तव्यसे मुंह न मोड़ेंगे और ईश्वरसे प्रार्थना है कि वह आपको मातृभूमिके प्रति अपने कर्त्तव्यका पालन करनेके लिए पर्याप्त शक्ति प्रदान करे। आपसे इस समय मैं जो चाहता हूँ वह केवल यही है कि आप सब लोग, भाई और बहनें, कांग्रेस के सदस्य बनें। यदि आप भय अथवा किसी स्वार्थंके कारण सदस्य न बनेंगे तो आप स्वराज्य के योग्य कदापि नहीं हो सकते। यदि हम स्वराज्यके हेतु एक करोड़ रुपया एकत्र करनेको तैयार नहीं हैं तो स्वराज्य कभी प्राप्त नहीं हो सकता। यदि हम स्वराज्यकी खातिर एक करोड़ रुपये जमा नहीं कर सकते तो हम स्वराज्य पानेकी योग्यता कैसे प्राप्त करेंगे। अगर हम इतनी रकम इकट्ठी न कर पाये तो हमें स्वराज्य नहीं मिल सकता। मिलना भी नहीं चाहिए क्योंकि हम उसके अयोग्य हैं। क्षण-भरके लिए विचार कीजिए कि इस नगरमें नाटकों, तमाशों और अन्य आमोद-प्रमोदोंमें कितना धन नष्ट किया जाता है और इस विशाल देशमें मद्य पानमें कितना। लगभग सत्तर करोड़ रुपया मद्यपानमें इसी वर्ष व्यय हुआ है। यदि हम अपने दुर्गुणोंपर इतना रुपया खर्च कर सकते हैं तो स्वराज्यके लिए एक करोड़ रुपया क्यों नहीं दे सकते? मुझे इतनेसे ही सन्तोष न होगा कि प्रत्येक व्यक्ति अपना भाग, जो केवल दो पैसे होता है, दे दे। हमें एक करोड़ रुपया एकत्र करना है और इस रकमको पूरा करना हमारा परम कर्त्तव्य है। मुझे विश्वास है कि केवल बम्बई ही इस रकमको पूरा करनेमें समर्थ है।

मुझे मॉरीशसके व्यापारी भाइयोंकी ओरसे अभी २३१ रुपये प्राप्त हुए हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि इतनी दूरीपर बसे हुए हमारे ये भाई हमारी स्वराज्यकी माँगमें हमारे साथ हैं। आज ही मेरे एक मित्र रुस्तमजी घोरखोदूने[१] इस देशमें चरखे के प्रचारार्थ १२,००० रुपये भेजे हैं । आपके सम्मुख यह एक अच्छा उदाहरण है जिसका अनुकरण करना सर्वथा उचित है। केवल एक मास शेष रह गया है जिसमें [ आप चाहें तो ] देशके प्रति अपना कर्त्तव्य पूरा कर सकते हैं। मेरी अपील बम्बई निवासियोंसे है, जो इस देशमें चलाये गए प्रत्येक आन्दोलनमें सबसे आगे रहे हैं। जलियाँवाला बाग-कोषमें उसने सबसे अधिक धन दिया था और अब वह तिलक स्वराज्य कोष के लिए भी बड़ी रकम दे सकता है। लोकमान्य तिलकने ही बतलाया था कि स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और उसको हमें प्राप्त करना है। यदि हम तीस करोड़ मनुष्य स्वराज्य प्राप्त करनेके लिए कृत संकल्प हैं तो हमें कौन रोक सकता है? हमारे लिए एक करोड़ रुपया इकट्ठा करना असम्भव नहीं है।

आप माटुंगा के लोग स्वराज्य-कोषमें केवल ५,००० रुपये जमा कर पाये, इससे मुझे बहुत दुःख हुआ। क्या आप इतनी छोटी रकम एकत्र करके ही अपना कर्त्तव्य पूरा हुआ मान बैठे हैं। ऐसा मानना अपनेको तथा देशको धोखा देना है? याद रखें जूनके अन्तमें हमारी कर्त्तव्यपरायणताकी परीक्षा होनेवाली है। मुझे आशा है कि आप

  1. पारसी रुस्तमजी; नेटालके एक भारतीय व्यापारी जिन्होंने दक्षिण आफ्रिकामें गांधीजीके सत्याग्रह आन्दोलनमें प्रमुख भाग लिया था।