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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


सरोजिनी नायडूका भाषण सुननेसे पहले आप लोग तिलक स्वराज्य-कोषमें उदारतासे धन देनेकी कृपा करें।

आज, ६-६-१९२१

७९. टिप्पणियाँ

अफगानी खतरा

कुछ स्वार्थ-साधकों को अफगानोंके बारेमें नाहक चिल्ल-पों मचाते देखकर श्री विपिनचन्द्र पाल[१] जिस तरह आतंकित हो उठे हैं उसपर मेरी ही तरह, दूसरे भी कई लोगोंको अचरज हुआ होगा। वे तो पूर्ण स्वराज्य में विश्वास करते हैं, इसलिए मैं उनसे कहना चाहूँगा कि अपने-आपको लाचार माननेकी भावनासे मुक्त किये बिना हम भारतमें स्वराज्य स्थापित नहीं कर सकते। स्वराज्यका मतलब ही है अफगानी हमले और देश के अन्दर-बाहरके हर खतरेसे निपटने की हमारी तैयारी। असहयोगकी समूची रूपरेखाका आधार ही है — दूसरे लोगोंपर विश्वास करना; और अगर वे अविश्वसनीय साबित हों तो स्वयं कष्ट उठाकर उनके छल-कपटका सामना करने के लिए तैयार हो जाना। इलाहाबादकी हिन्दू-मुस्लिम कान्फ्रेंस में स्वयं पाल महाशयने डा० सप्रूक[२]ो जवाब देते हुए जो बात कही थी, मैं उनको उसीकी याद दिलाना चाहता हूँ। उन्होंने बिलकुल सच कहा था कि मेल-मिलाप, सूझ-बूझ और कष्ट सहनेकी जो शक्ति वर्तमान दासताका अन्त करेगी वहीं हमें इस तरहकी दूसरी सभी बुराइयोंसे निपटने के योग्य भी बना देगी।

अखिल-इस्लामवाद के जिस सिद्धान्तसे पाल महाशय इतना डरते हैं, वह इस मानीमें तो बहुत अच्छा सिद्धान्त है कि एक मुसलमान दुनियाके सभी मुसलमान राज्योंके बीच एकता और भाईचारा चाहता है। लेकिन अगर उसका मंशा तमाम मुसलमान राज्योंको जोड़-बटोरकर दुनियाका शोषण या जबरदस्ती इस्लामका प्रचार करना हो तो वह जरूर एक खतरनाक सिद्धान्त है। बहुतसे समझदार मुसलमान मेरे परिचित हैं और मैं जानता हूँ कि उनमें से कोई भी दुनियाका शोषण या जबरदस्ती इस्लामका प्रचार करनेकी बात नहीं सोचता। निरे भौतिक बलके आधिपत्य से दुनिया तंग आती जा रही है।

मैं पाल महाशयको यह भी विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि मैं किसी कौम, फिरके या भावनाओंकी ठकुरसुहाती नहीं करता। मैं गलत भावनाओंको अमान्य करता हूँ और अच्छी भावनाओंको अपनाता हूँ। मैं इस बात में तनिक भी विश्वास नहीं करता कि संजीदा किस्म के मुसलमान अफगानोंकी हुकूमतको खुशी-खुशी मंजूर कर लेंगे। इस मामले में उनका रवैया ठीक संजीदा किस्म के हिन्दुओं-जैसा ही होगा।

  1. विपिनचन्द्र पाल (१८५८ - १९३२ ); बंगालके शिक्षाविद, पत्रकार, वक्ता और राजनीतिक नेता।
  2. सर तेजबहादुर अम्बिकाप्रसाद समू (१८७५ - १९४९ ); राजनीतिज्ञ और वकील।