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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

यदि इस महान् देवालयके निर्माणमें, विवाहकी अपेक्षा कहीं अधिक इस मंगल कार्य में देंगे तो दस लाख रुपया इकट्ठा करना कोई मुश्किल बात न होगी। गरीब व्यक्तियोंके पास पैसे न हों तो उनकी ओरसे स्वयं चार आने देकर उनका नाम कांग्रेसकी बही में दर्ज करायें। चरखेके लिए अगर हम बढ़इयों और लुहारोंको जुटा लें तो चरखा-कार्यक्रम भी बच्चोंका खेल हो जाए। मेरा तो कहना है कि अगर अकेली बहनें ही तीस दिन काम करनेके लिए निकल पड़ें तो भी पैसा इकट्ठा करना खेल है। भाषण कर-करके अब मैं थक गया हूँ, लेकिन मेरे मनसे गुजरातकी बहनोंके प्रति विश्वास नहीं गया है। उनमें इतनी निर्मलता, इतनी श्रद्धा है कि धर्मराज्यकी बात सुनते ही वे पिघल जाती हैं। उनकी ओरसे आभूषणोंकी जो बरसात हुई है उसीसे मेरे मनमें श्रद्धा जाग उठी है।

श्रद्धा तो मुझे बहनों और भंगियोंसे प्राप्त हुई है। अभी थोड़े दिन पूर्व ही एक पारसी भाईने मुझे फिर बारह हजार रुपये भेजे हैं। ये पारसी दक्षिण आफ्रिका- वाले भाई रुस्तमजी हैं। ये टाटाकी अपेक्षा कम पैसेवाले हैं, लेकिन इनके पास टाटाकी अपेक्षा अधिक विशाल हृदय है। उन्हें प्राप्ति सूचना तक भेजनेका मुझे समय नहीं मिल पाया है। ऐसे लोगोंसे ही मुझे श्रद्धा मिली है।

हमें शिमलासे स्वराज्य प्राप्त नहीं होगा। यहाँ लाल, हरे और सफेद रंगका जो झण्डा फहरा रहा है और जिसपर चरखेका चित्र अंकित है, उस झण्डेके लिए अगर आप मरनेको तैयार हो जायें तो उसी दिन स्वराज्य है। आपकी बात सुननेके लिए जो अंग्रेज आपको बुलाते हैं उन्हें आप अपनी बात भले ही सुनायें-समझायें, लेकिन इतना आप समझ लें कि स्वराज्य तो आपको अपने बलपर ही मिलेगा। यह अत्युत्तम मुहूर्त है। यदि यह शुभ मुहूर्त टल गया तो जैसे लक्ष्मी के आनेपर मुंह धोनेके लिए जानेवाले व्यक्तिको हम मूर्ख कहते हैं उसी तरह हिन्दुस्तानको भी मूर्ख समझा जायेगा। इस परिषद्को शुभ मुहूर्त मानकर आप इसका उपयोग करें। यदि हम दृढ़ प्रतिज्ञ होकर काम करेंगे, मरनेके लिए तैयार रहेंगे तो पंजाब के प्रति न्याय, खिलाफतके प्रति इन्साफ और स्वराज्य इन तीनोंको मिला ही मानें।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन ५-६-१९२१