पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/२०२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१७२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


मैं “रामरक्षा” का पाठ करता और भूत-प्रेतको कोठरीसे निकाल सकने में सफल होता। हिन्दुस्तान में जिस शान्तिकी जरूरत है वह शान्ति, प्राण जानेपर भी आत्मसमर्पण न करनेवाले अरब लड़केकी-सी है, वह प्रह्लाद जैसी शान्ति है। मुसलमानोंसे मैं कहता रहा हूँ कि आप अरब लड़केका आदर्श अपने ध्यानमें रखें और हिन्दुओंसे कहता रहा हूँ कि प्रह्लादका आदर्श अपने ध्यानमें रखें तथा उनके जैसी शान्ति, धीरज और धैर्यका विकास करें।

प्रस्तावमें मालेगाँवका जो जिक्र किया गया है उसका कारण यह है कि इस घटनाको हमें भूल जाना है। और दलीपसिंह और लछमनसिंहकी शान्तिको आत्म-बलिदानको ― याद रखना है। यदि ऐसी शान्तिका विकास करनेके लिए आप यहाँ अपना मत देंगे तो उसका अर्थ यह होगा कि आप आदमीके भयसे मुक्त हो गये हैं। और मात्र ईश्वरसे ही भय खानेवाले व्यक्ति बन गये हैं। जबतक हम मानवमात्र के भयको छोड़कर खुदासे डरनेवाले नहीं बन जाते तबतक जगत् हमें डराता है, और डराता रहेगा। यह शक्ति हमें गुजरातकी मार्फत हिन्दुस्तानको देनी है। गुजरातकी मार्फत सरकारको कर देनेका काम बन्द करना है। लेकिन यह काम तभी हो सकता है जब हममें शान्तिकी वह ताकत आ जाये। मैं ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि हे ईश्वर! तू सब भाइयोंको यह ताकत दे।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन ५-६-१९२१

८४. प्रस्ताव[१]

१ जून, १९२१

(१) यह सभा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसके नागपुर अधिवेशनमें पास किये गये अहिंसात्मक असहयोगसे सम्बन्धित प्रस्तावका हार्दिक समर्थन करती है और सभी वर्गों के लोगों का आह्वान करती है कि वे प्रस्तावपर पूरी तरह अमल करनेके लिए अधिक उत्साहपूर्वक और अधिक संगठित ढंगसे काम करें, विशेष रूपसे इसलिए कि गुजरातमें उक्त प्रस्तावपर जिस रफ्तारसे अमल किया जा रहा है सभाका विश्वास है कि वह इसी वर्ष के अन्दर स्वराज्य प्राप्त करनेकी आशा दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं है।

(२) इस सभा के विचारानुसार गुजरातका कर्त्तव्य है कि वह कांग्रेस समि तियोंके तीन लाख सदस्य बनाये, तिलक स्वराज्य-कोषमें दस लाख रुपये जमा करे और एक लाख चरखे चालू करे तथा बेजवाड़ामें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा निर्धारित कार्यक्रमके अनुसार गाँवों, ताल्लुकों और जिलोंके सभी कार्यकर्त्ताओंसे अपील करे कि वे ३० जूनसे पहले यथाशक्ति चन्दा दें।

  1. अनुमानत: गुजरात राजनीतिक परिषद् में पारित इन प्रस्तावोंका मसविदा गांधीजीने तैयार किया था।