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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


जो काम हमारे सामने है और जिसे हमें पूरा करना है उसके लिए चुपचाप घर-घर जाना और एक-एक आदमीको समझाकर राजी करना भाषणों और सभाओंसे कहीं अधिक प्रभावोत्पादक है।

गुजरातका संकल्प

गुजरातने अपना प्रादेशिक सम्मेलन और खिलाफत सम्मेलन भड़ौंचके ऐतिहासिक नगरमें किया। दोनों सम्मेलन नर्मदाके सुरम्य तटपर किये गये। खद्दर और चरखेकी एक प्रदर्शनी भी वहाँ की गई। उसमें कई तरहके चरखे प्रदर्शित किये गये, जो इस बातके प्रमाण थे कि भारतीयोंकी खोज-बुद्धिका कितना लाभकारी उपयोग किया जा सकता है। लेकिन इससे पाठकोंको यह नहीं समझ बैठना चाहिए कि वहाँ कोई ऐसा चरखा भी प्रदर्शित किया गया था जिसमें कई तकुए थे और जो अपेक्षाकृत बहुत ज्यादा सूत कात सकता था। स्वागत समिति के अध्यक्ष और सम्मेलनके सभापति दोनोंके भाषण अत्यन्त संक्षिप्त और सारगर्भित थे। स्वागताध्यक्ष श्री हरिभाई अमीनने अपना स्वागत भाषण सिर्फ पन्द्रह मिनटमें पढ़कर सुना दिया। सभापति श्री वल्लभभाई पटेलने भी अपना पूरा भाषण पढ़नेमें तीस मिनटसे ज्यादा वक्त नहीं लिया। उनका यह भाषण एकदम सरल, संक्षिप्त, प्रसंगानुकूल और सौजन्यसे परिपूर्ण था। मैं अपने सभी पाठकोंको यह भाषण पढ़नेकी सलाह देता हूँ। असहयोग के विरोधियोंके बारेमें इसमें कहीं भी कटु शब्दोंका प्रयोग नहीं किया गया है। सरकारकी आलोचना भी बड़े संयत ढंगसे की गई है। इस भाषणमें ज्यादातर तो असह्योगके रचनात्मक हिस्से के ही बारेमें कहा गया है।

लेकिन इस सम्मेलनकी सबसे महत्त्वपूर्ण बात वह प्रस्ताव है जिसमें बेजवाड़ा कार्यक्रममें गुजरात क्या करेगा यह तय किया गया है। इस प्रस्तावके अनुसार, तिलक स्वराज्य-कोषके लिए जो राशि निश्चित की गई थी गुजरात उससे तीन गुनी राशि यानी दस लाख रुपये इकट्ठे करेगा, पूरे-पूरे यानी तीन लाख सदस्य भरती करेगा और एक लाख यानी मूल राशिके लगभग दूने चरखे तैयार करके बाँटेगा। मैं यह तो नहीं कहता कि अगर इतना काम पूरा कर दिया गया तो यह गुजरातके लिए कोई गर्व करने लायक काम होगा; मगर इतना जरूर कहूँगा कि अगर ३० जूनसे पहले यह सब हो गया तो बुरा नहीं कहा जायेगा। दस लाख रुपया चन्दा जमा करनेके लिए अलग-अलग जिलोंका अपना-अपना हिस्सा तय कर दिया गया है, ताकि ढंगसे पैसा इकट्ठा किया जा सके। अभी गुजरातमें कांग्रेसके ४०, ५१४ सदस्य हैं। १,४०,१४९ रुपया चंदा किया जा चुका है, और उसमें से ३५ हजार रुपये अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीको भेजे गये हैं। चरखोंकी तादाद २०,०५८ है।

राष्ट्रीय शिक्षाके मामलेमें गुजरात सबसे आगे, मगर वकालत छोड़नेके मामले में सबसे कमजोर है; अभीतक सिर्फ आधा दर्जन वकीलोंने अपनी वकालत छोड़ी है। राष्ट्रीय शिक्षामें गुजरातकी प्रगतिके विषयमें विवरण में कहा गया है:

गुजरात में राष्ट्रीय शिक्षाका काम करनेवाली २४५ संस्थाएँ हैं, जिनमें सब मिलाकर ३२,१०२ विद्यार्थी हैं। इस वृद्धिका आंशिक कारण अहमदाबाद नगरपालिकाके स्कूलोंको भी इसमें मिला लेना है।