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समझानेको राजी न हों। अगर हममें अपने ध्येयके प्रति निष्ठा और दृढ़ता है तो हमें सारी दुनिया के पास जाकर अपनी बात समझानेके लिए तैयार रहना चाहिए। लेकिन यह आपत्ति भी कि इस तरहकी मुलाकातें खतरेसे खाली नहीं हुआ करतीं, मुझे काफी सारपूर्ण लगती है। अपनी कमसे कम माँगपर अन्ततक डटे रहने की आदत न होनेके कारण आसानीसे फिसल जानेका डर तो रहता ही है।

कांग्रेसका सदस्य कौन बन सकता है?

एक मित्र पूछते हैं कि क्या वेश्याएँ कांग्रेसकी सदस्यायें बन सकती हैं और क्या वे लोग जो कांग्रेसके सिद्धान्तोंको नहीं मानते सिर्फ चार आने देकर ही सदस्य बन सकते हैं। उन अभागी बहनोंको कांग्रेसकी सदस्यायें बननेसे किसी भी तरह रोका नहीं जा सकता, अगर वे विधानकी बाकी सारी शर्तें पूरी करती हों। अगर चोर भी सदस्यता की शर्तोंको पूरा करते हों तो उन्हें भी कांग्रेस में शामिल होनेका अधिकार है और वे इसकी माँग कर सकते हैं। अगर समाजके पतित और गलित हिस्सों में कांग्रेसके सदस्य बननेकी उमंग पैदा होती है तो उसे भावी नव-निर्माणका एक शुभ संकेत ही समझना चाहिए। लेकिन सिर्फ तादाद बढ़ाने के ही लिए हम लोगोंको सदस्य बनायें या सदस्य बनने के लिए कहें, यह तो कदापि उचित नहीं। फिर यह बात भी बिलकुल साफ है, कमसे-कम मेरे निकट तो है ही, कि जो कांग्रेसके सिद्धान्तोंको मंजूर नहीं करता और उसके प्रतिज्ञा पत्रपर दस्तखत नहीं करता वह सदस्य नहीं बन सकता। सदस्य बनने की यह कसौटी वैसे है तो बहुत आसानपर साथ ही निहायत जरूरी भी है:

१. पूरे इक्कीस वर्षकी उम्र।
२. शान्त और वैध उपायोंसे स्वराज्य प्राप्त करनेकी अभिलाषा और उसके लिए प्रयत्न।
३. वार्षिक चार आना चन्दा।

कोई भी स्त्री-पुरुष, सहयोगी या असहयोगी, अगर ये आसान शर्तें पूरी करता है तो उसे बिना ज्यादा पूछताछ के सदस्य बनाया जा सकता है।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ८-६-१९२१