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पत्र : नरमदलीय भाइयोंको


करते थे? यह आप ही के शासनमें हुआ है कि एक आदमीको अपनी निश्चित राय रखने के अपराधमें कालेपानीकी सजा मिली। अब आप यह दलील तो दे नहीं सकते कि वह लोगोंको हिंसाके लिए भड़का रहा था, क्योंकि आप अभी कुछ ही दिन पहलेतक ऐसी दलीलोंको स्वयं ठुकराते रहे हैं। अली भाइयोंने अपनी सफाई पेश कर दी है और उनके भाषणों में हिसाका पुट तक होनेका सन्देह भी नहीं किया जा सकता। अब यदि आप सोचें कि उन्होंने दण्डके भयसे सफाई दी है, तो वह देशके प्रति आपका अन्याय, निर्दयतापूर्ण अन्याय होगा। देशमें एक नयी भावनाका संचार हुआ है। बाहरके किसी भी न्यायाधीशके मुकाबले, अपने अन्दर बैठे न्यायाधीशका भय कहीं ज्यादा बड़ा होता है। क्या आप जानते हैं कि पिछले छ: महीनोंके दौरान आप ही के देशवासी, अनेक उत्साही नौजवान सिर्फ इसलिए जेल गये हैं कि वे जमानतें देना अपमानजनक मानते हैं, और इसलिए उन्होंने अपनी जमानतें देनेके बदले जेल जाना कहीं अच्छा समझा। और आप ही के शासनमें बिलकुल ही बेगुनाह मोपला[१] लोगोंपर तरह-तरहकी ज्यादतियाँ करके उनके धैर्यकी कड़ी परीक्षा ली गई है और मोपलाओंने अभीतक धैर्यको अपने हाथसे छूटने नहीं दिया है। मुझे यह सोचकर बड़ी सान्त्वना मिलती है, और सचमुच मेरा यही विश्वास है कि अमन और इन्साफके नामपर आजकल जो अत्याचार किये जा रहे हैं उनके पीछे आपका हाथ नहीं है। परन्तु आप जनताको या मुझे यह भी नहीं कहने देते कि ब्रिटिश सरकार आपकी आड़में अपना उल्लू सीधा कर रही है और जिन बातोंमें वह आपकी आड़ नहीं लेती उनमें आप लाचारीके मारे कुछ नहीं कर पाते। लेकिन इसपर बहस करनेके लिए जरूरी होगा कि हम दोनोंके अपने-अपने आदर्शोंकी चर्चा उठाई जाये जिसे मैं इस समय ठीक नहीं समझता। पर यदि आप देशकी जनताकी शराबबन्दीके काममें ही मदद करें, तो भी वह आपका एक बड़ा योगदान होगा और आपकी पिछली अनेक सेवाओंमें एक यह सेवा और जुड़ जायेगी; और सम्भव है कि यही एक काम हाथमें लेनेपर आपको अन्य कई उपयोगी काम या सेवाएँ नजर आने लगें।

सदैव आपका,
मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ८-६-१९२१

२०-१३

  1. दक्षिण भारतके मलाबार प्रदेशके निवासी मुसलमान।