पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/२२८

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९५. पत्र लेखकों से[१]

हमारे पास हर तरह की पूछताछके इतने पत्र आया करते हैं और हमारे लिए डाकसे उनके उत्तर अलग-अलग भेजना रोज-ब-रोज कठिन होता जा रहा है। इसलिए हम उस पूछताछ का उत्तर यथासम्भव इस स्तम्भ द्वारा देना चाहते हैं।

के० एस० सुब्बिया हिएर: सौ नम्बरका सूत कातनेके लिए बहुत सावधानी रखने और ध्यान देनेकी जरूरत है। यदि इस कलामें आपकी रुचि है तो आपको गंजाम जिले का दौरा करना चाहिए और कत्तिनोंको सूत कातते समय ध्यानसे देखना चाहिए। हमें खेद है कि इतने बारीक सूतकी धोतियाँ अभी इतनी अधिक तादाद में उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए उनकी खपतके लिए खास एजेन्ट रखनेकी जरूरत नहीं है।

के० एस० वैंकटरमन: श्री रेवाशंकर झवेरीने जैसा चरखा बनानेके लिए पुरस्कार घोषित किया है यदि वैसे चरखेका आविष्कार आपने कर लिया है तो आप सत्याग्रह आश्रमके व्यवस्थापकको पत्र लिखें। साथमें चरखेके नक्शे भेज दें और एक घंटे में काते जा सकनेवाले सूतकी मात्रा भी लिखें।

मुहम्मद अनवरुद्दीन, पानीपत: सरौतेका पता नहीं लग रहा है। यदि आपके पास रसीदकी नकल रखी हो और आप उसे हमारे पास भेज दें तो हम फिर पूछ-ताछ करेंगे। हम ऐसी चीजोंकी समालोचना नहीं छापते और न विज्ञापन ही लेते हैं।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, ८-६-१९२१

९६. हमारी कसौटी

हिन्दुस्तानने दो मास पूर्व बेजवाड़ामें अपने-अपने प्रतिनिधियोंकी मार्फत वाद-विवाद करनेके बाद विचारपूर्वक प्रतिज्ञा की कि तीस जून तक

१. हम तिलक स्वराज्य-कोष के लिए कमसे कम एक करोड़ रुपया इकट्ठा करेंगे और उसका उपयोग स्वराज्य प्राप्त करनेके लिए करेंगे।

२. हम कांग्रेसके दफ्तर में कमसे कम एक करोड़ ऐसे स्त्री-पुरुषोंके नाम दर्ज करायेंगे जिनकी अवस्था २१ वर्षसे ऊपर होगी।

३. हम हिन्दुस्तानमें कमसे कम बीस लाख चरखे चालू करेंगे।

इनमें से अगर एक कार्य भी हम पूरा न कर सकें तो इसमें हिन्दुस्तानकी, पाठकों-की और मेरी भी लाज जायेगी। फिलहाल तो मैं पैसेकी बात करना चाहता हूँ। अगर मेरे पास पैसा हो तो इस लाजको रखनेके लिए, चाहे मुझे भिखारी ही क्यों न

  1. यह सम्भवत: गांधीजीका लिखा है।