पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/२२९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१९९
हमारी कसौटी


बनना पड़े, मुझे एक करोड़ रुपया दानमें दे देना चाहिए। पाठकोंको भी ऐसा ही करना चाहिए। लाख रुपयोंकी अपेक्षा मनुष्यको अपनी लाज अधिक प्रिय होनी चाहिए। स्वराज्य प्राप्त करनेका अर्थ है कि हम हिन्दुस्तानकी लाजको अपनी लाज समझें, हिन्दुस्तान के दुःखको अपना निजी दुःख मानें।

सारे हिन्दुस्तान में अभी हम बीस लाख रुपयेसे ज्यादा धन एकत्रित नहीं कर पाये हैं। अभी हमें अस्सी लाख रुपये और जमा करते हैं। उतना पैसा जमा करनेके लिए हमारे पास आजसे कुल चौबीस दिन ही रह गये हैं। हमने अभीतक जिस गतिसे काम किया है अगर आगे भी उसी गतिसे काम करते रहें तो चौबीस दिन कोई चीज ही नहीं हैं। अपनी गतिको अगर हम नया वेग प्रदान करेंगे तो चौबीस दिन बहुत हैं।

गुजरात अगर चाहे तो अकेले ही इस मासके अन्ततक अस्सी लाख रुपया इकट्ठा कर सकता है। लेकिन गुजरातको अपने-आपमें इतना विश्वास नहीं है। इसलिए गुजरातने कंजूसकी भाँति अपनी शक्तिको दस लाख रुपयेतक निश्चित किया है। भड़ौच में हुई परिषद् में गुजरातके प्रतिनिधियोंने विचारपूर्वक प्रतिज्ञा की कि हिन्दुस्तान के प्रति अपने कर्त्तव्य के रूपमें गुजरात:

१. दस लाख रुपया देगा,

२. तीन लाख सदस्य बनायेगा, और

३. एक लाख चरखे चालू करेगा।

इस पत्रिकाका मुख्य उद्देश्य तो यह बताना है कि दस लाख रुपया इकट्ठा करनेका फर्ज किस तरह निभाया जाये।

अधिकसे-अधिक कितनी रकम दी जा सकती है, यह बात तो मैंने बता दी, लेकिन ऐसे देनेवाले संख्यामें अधिक नहीं होते। अनेक लोगोंके लिए कुछ आधार अथवा नियमोंका होना जरूरी है। मित्रोंके साथ सलाह-मशविरा करनेके बाद मैं निम्नलिखित नियमोंका सुझाव देता हूँ:

१. जिन लोगोंको वेतन मिलता है वे अपने मासिक वेतनका कमसे कम दसवाँ भाग दें।

२. स्वतन्त्र धन्धा करनेवाले लोग जैसे व्यापारी, वकील, डाक्टर आदि पिछले बारह महीनोंमें हुई अपनी गाढ़ी कमाईका कमसे कम बारहवाँ भाग दें।

३. जिसके पास स्थावर सम्पत्ति अथवा नकद रुपया है उसे अपनी स्थावर सम्पत्ति-के किराये अथवा पूँजीपर मिलनेवाले व्याजसे और अगर उसने अपनी सम्पत्ति गिरवी रख दी है तो गिरवीकी रकमको छोड़कर बाकी रकमपर कमसे कम ढाई प्रतिशत देना चाहिए।

अगर उपर्युक्त नियमों के अनुसार सब लोग धन दें तो हमें एक करोड़ रुपया आसानीसे मिल सकता है।

पाठकवृन्द! आप हिन्दू हों अथवा मुसलमान, पारसी, ईसाई अथवा यहूदी, आप स्त्री हों अथवा पुरुष, आप मिल-मालिक हों अथवा मजदूर, आप नौकर हों अथवा