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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


लिए, प्रेम के लिए गायकी रक्षा कर रहे हैं, इसे में उनका उपकार मानता हूँ और सब हिन्दुओंको मानना चाहिए।

[ गुजरातीसे ]
नवजीवन, १२-६-१९२१

१००. भाषण : अहमदाबादकी सार्वजनिक सभामें[१]

१३ जून, १९२१

मौलाना मुहम्मद अली आज पहली बार अहमदाबाद आये हैं। आपने इनका स्वागत किया और आप इनका भाषण सुनना चाहते हैं। मेरा इरादा उनके और आपके बीच अधिक देरतक खड़े रहनेका नहीं था। लेकिन जब मैं यहाँ आया तब मैंने जो सुना उससे मुझे ऐसा लगा मानो मेरे दिलमें खंजर भोंक दिया गया हो। इसलिए अब मैं दो-चार मिनटमें ही समाप्त नहीं करूंगा। मैंने साबरमतीमें जब सुना कि मौलाना साहब आ गये हैं तब में प्रसन्न हो उठा और सीधे यहां चला आया। लेकिन यहाँ आते ही मैंने क्या सुना? मैंने सुना कि मजदूर आज कामपर नहीं गये। वे मिलमें गये और चले आये। ऐसा करके हिन्दू और मुसलमान मजदूरोंने अपनी नाक खुद काट ली है, अनसूयाबेनकी[२] नाक काटी है, बैंकरकी नाक काटी है। इसमें नाक कटनेकी क्या बात है, यह आप स्वयं सोचें, लेकिन मेरी नाक तो आपने काट ही दी है।

मजदूर मुझसे गलत काम नहीं ले सकते। में तो मानता हूँ कि हिन्दुस्तान में कोई भी नहीं ले सकता। में हिन्दुस्तानको गुलामीके शिकंजेसे निकालने का प्रयत्न कर रहा हूँ; तो फिर में मजदूरोंकी गुलामीमें कैसे पड़ सकता हूँ। आप सम्भवतः यह सोचते होंगे कि अनसूयावेन तो महिला है, उसे धोखा दिया जा सकता है। गांधी तो अत्यन्त वृद्ध हो गया है और हिन्दुस्तान-भरमें घूमता रहता है, उसको भी भ्रमित किया जा सकता है। लेकिन आप ऐसा नहीं कर सकते। आपने अभी भाई अख्तरसे एक अत्याचारीके सम्बन्धमें एक कविता सुनी। एक अत्याचारीकी गुलामीसे छूटने की इच्छा करनेवाला व्यक्ति दूसरेकी गुलामीमें नहीं पड़ सकता। मौलाना शौकत अली और मौलाना मुहम्मद अलीको आप मिलमें काम करके ही अच्छेसे अच्छा सम्मान दे सकते थे। ईदके त्योहारके लिए आपने तीन दिनकी छुट्टी मनाई। कलकी बातको भी में जैसे-तैसे पी गया।[३] लेकिन आजकी बातको पी जाना असम्भव है।

आप मनमें ऐसा सोचते हैं कि गांधी हिंसा तो करना चाहता है लेकिन ‘बड़ा’ आदमी होनेके कारण प्रकट रूपसे ऐसा नहीं कह सकता। इसलिए जब वह कहे कि

  1. गांधीजीको अध्यक्षतामें आयोजित इस सभा में मौलाना मुहम्मद अलीने भाषण दिया था।
  2. अनसूयावेन साराभाई, अहमदाबादके एक प्रमुख मिल-मालिक सेठ अम्बालाल साराभाईकी बहन। गांधीजीके स्वदेशी आन्दोलनकी समर्थक।
  3. मौलाना शौकत अलीका भाषण सुननेके लिए मजदूरोंने छुट्टी की थी।