पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/२४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२१८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


प्राप्तिका एकमात्र उपाय अन्तमें सरकारसे समझौता कर लेना ही मानते हैं। मेरा तो आपकी इस सीखमें विश्वास है कि स्वराज्य प्राप्त करना पूरी तरह और सर्वथा हमपर ही निर्भर है। लेकिन साथ ही अभीष्ट परिस्थितियों में सरकारसे समझौते की सम्भावनाको भी में रद नहीं करता, और जहाँतक में जानता हूँ, स्वयं आप भी नहीं करते। लेकिन ऐसे समझौते सिर्फ सिद्धान्तोंके आधारपर ही हो सकते हैं, व्यक्तियोंकी सुविधा या सुरक्षाको सोचकर नहीं। जिस आन्दोलनमें बहुतसे कार्यकर्त्ता मिल-जुलकर काम करते हों, उसमें आप व्यक्ति-व्यक्ति में कोई भेदभाव नहीं कर सकते; उसमें तो छोटेसे-छोटा कार्यकर्ता भी नेताओंसे उतनी ही सुरक्षा पानेका अधिकारी है जितना कि बड़े से बड़ा और प्रमुखतम व्यक्ति। अली बन्धुओंसे कहीं नरम भाषाका उपयोग करने के अपराधमें हमारे सैकड़ों नहीं तो अवश्य ही बीसियों कार्यकर्ता खुशी-खुशी जेल गये हैं। इसी तरहकी सफाई और आश्वासन देकर उनमें से कुछको तो जेल जाने से बचाया ही जा सकता था, लेकिन किसीको उन्हें वंसी सलाह देनेका खयाल नहीं आया। उलटे जेल जाने के लिए नेताओं और असहयोगसे सम्बन्धित सारे अखबारोंने उनकी तारीफ ही की। ऐसे लोगों में मुझे इस समय हमीद अहमदका सबसे ज्यादा खयाल आ रहा है, जिन्हें हालमें ही इलाहाबादमें आजीवन कालेपानीकी सजा दी गई है और जिनकी सारी सम्पत्ति जब्त कर ली गई है। क्या कोई खास कारण है, जिसकी वजहसे इस आदमीको बचाया नहीं जाना चाहिए? मौलाना मुहम्मद अलीने ३० मईके अपने बम्बईवाले भाव में हमीदकी खूब तारीफ की है। में नहीं कह सकता कि जिस व्यक्तिको स्थिति ठीक हमीद अहमदकी सी थी, उसकी प्रशंसासे, हमीद अहमदको क्या कोई सान्त्वना मिल सकती है जब कि स्वयं उस व्यक्तिने सफाई और आश्वासन देकर अपने-आपको बचा लिया हो। जेलोंमें और भी बहुत-से लोग सड़ रहे हैं, जिन्होंने कोई अपराध नहीं किया है; और फिर उससे भी कहीं ज्यादा लोगोंके प्रति सरकार वैसा ही करने जा रही है। अपने निरापद स्थानसे उन सबकी तारीफ कर देना और अपनी शुभाकांक्षाएँ पहुँचा देना ही क्या हमारे लिए काफी है?

वाइसरायके भाषण से स्पष्ट हो गया है कि उनसे आपके बार-बार मिलने का जो सिर्फ एक निश्चित परिणाम निकला, वह है अली बन्धुओंकी सफाई और आश्वासन। बादके अपने भाषणोंमें आपने भी इस बातको बिलकुल स्पष्ट कर दिया है कि हमारा आन्दोलन बिना रुके चलता रहेगा। ऐसा लगता है। कि किसी सैद्धान्तिक प्रश्नपर कोई समझौता नहीं हुआ है, और जिस प्रश्नपर समझौता हुआ यानी हिंसाको न भड़काने के प्रश्नपर, उसके लिए दोनों पक्षोंकी ओरसे बातचीत की कोई भी आवश्यकता नहीं थी। में यह नहीं कहता कि