पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/२६

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टिप्पणियां आप निर्व्यसनी बने, सयमी बने । सवेरे उठकर प्रभुका नाम लेने के बाद काम करना शुरू करे। सांझको हल छोडनेके बाद गालियां देना अथवा गालियोसे भरे हुए गीत गाना उचित नहीं है। रातको भजन गाओ, हरिकीर्तन करो। अब बरसात नहीं होती, कारण राजा पापी बन गया है, प्रजा पापी बन गई है। ईश्वर हमारा समूल नाश नही करता कारण उसे हमारी पूरी परीक्षा करनी है। इसलिए सदाचारी बनो, व्यसन छोडो, भजन-कीर्तन करो, फिर आप देखेंगे कि आपको मुंह मांगा मेह मिलेगा। [गुजरातीसे] नवजीवन, १-५-१९२१ ५. टिप्पणियाँ भाषा और विचार भाषा विचारोको पूरी तरहसे अभिव्यक्त करनेका कदाचित् ही एक सफल वाहन बन पाती है। अनेक बार भाषा विचारोको आच्छादित कर देती है। भाषा सदैव विचारोको परिसीमित करती है। उसपर भी जब एककी भाषाका दूसरा व्यक्ति अनुवाद करता है तब जो मुश्किले और अनर्थ उपस्थित होते है उसे अनुवादक और पत्रकार ही समझते है। हमे तो ऐसी अनेक विडम्बनामोका सामना करना पड़ा है। हमने मुखपृष्ठपर बड़े-बड़े अक्षरोमे श्री वामनराव जोशीका सन्देश प्रकाशित किया था। प्रकाशित अनुवादको जब हमने पढा तब हमे स्वयं ही शरम आई। हमें लगा कि हमने इस वीर पुरुषके साथ अथवा पाठक-वर्गके साथ अन्याय किया है। जिन विचारो- को, जिस पद्धतिको हम महत्त्व प्रदान करना चाहते थे, उसकी शायद इस सन्देशमे हत्या हो गई है। हमने जो अनुवाद प्रकाशित किया है वह अग्रेजीसे किया गया है। श्री वामनरावका मूल सन्देश तो मराठीमे है। हम अपने अनुवादमे जो दोष देखते है वह वस्तुतः मूलमे है ही नहीं। "अपनी कमजोरियोको प्रकट करनेका काम हमारा नही है" यह वाक्य हमने श्री वामनरावके मुखसे कहलवाया है। हमारी वीरता तो सदैव अपनी कमजोरियोको प्रकट करनेमें है। श्री वामनराव स्वय वीर बनकर लोगोंकी कमजोरियोको ढकना चाहते है, छिपाना नहीं चाहते। कमजोरियोको १. वीर वामन गोपाल जोशी, निर्मोक पत्रकार और राष्ट्रीय नेता ! २. १४-४-१९२१ के नवजीवनमें । श्री जोशीको राजद्रोहके अपराधों गिरफ्तार किया गया था और उन्होंने कहा था कि वे अपना बचाव नहीं करना चाहते । ३. श्री जोशीने- कहा था कि इस समय उनका कर्तव्य विदेशियोंकि कुकृत्योंका पर्दाफाश करना है, अपने लोगोंकी कमजोरिषोंको प्रकट करना नहीं। अगर वे अपना बचाव करेंगे तो यह अपने लोगोंकी कमजोरियोंको प्रकट करना ही होगा। उन्होंने कहा कि मेरे विचारमे इससे बढ़कर शर्मकी और कोई बात नहीं हो सकती कि एक भारतीय दूसरे भारतीय द्वारा गिरफ्तार किया जाये और तीसरा उसे जेल भेजे। 1