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१०९. पत्र : मणिबेन पटेलको

बम्बई
गुरुवार [१६ जून, १९२१][१]

चि० मणि,[२]

तुम्हारा पत्र मिला। मैंने काका विट्ठलभाईको[३] उससे पहले ही बता दिया था कि हमें मिलना है। वे पूना जा रहे हैं। हम जरूर ही मिलेंगे। मिलनेके बाद जो होगा वह लिखूँगा। बम्बई में क्या अनाचार तुमने देखा है, वह मुझे बताना। तुम निश्चिन्त रहना। मैं काकासे पूरी बातें करनेवाला हूँ।

तुम दोनों भाई[४]-बहन देशकार्य में पूरी तरह लग जाना। और तुम्हारे पूरी तरह लग जानेका अर्थ यह है कि कातने और पींजनेका काम यहाँ तक जान लो कि उसमें तुम्हें कोई मात न दे सके। और सब काम अस्थायी हैं। यह काम स्थायी है, ऐसा मानना । हमारी सारी शक्ति इसीमें से आयेगी।

भाई महादेव[५] कल बम्बई आ गये हैं। कहना चाहिए कि उन्होंने खूब चन्दा इकट्ठा किया।

यहाँ बरसात अच्छी हो रही है। कल लगभग ५५,००० रुपये घाटकोपरमें मिले हैं।

मैं पत्र लिखूं या न लिखूं, परन्तु तुम तो लिखती ही रहना।

बापूके आशीर्वाद

मणिबेन
द्वारा/श्री वल्लभभाई पटेल भद्र, अहमदाबाद

[ गुजरातीसे ]
बापुना पत्रो : मणिबहेन पटेलने

  1. घाटकोपर में १५ जूनको भेंट की गई राशिके उल्लेखसे लगता है कि यह पत्र इसी तारीखको लिखा गया होगा।
  2. सरदार वल्लभभाईकी पुत्री।
  3. माननीय विट्ठलभाई पटेल (१८७३-१९३३); वल्लभभाईके बड़े भाई। १९०३ में वकालत पास की; बम्बई विधान परिषद् तथा शाही परिषद्के सदस्य; भारतीय विधान सभाके प्रथम निर्वाचित अध्यक्ष, १९२५-३०।
  4. डाह्याभाई पटेल।
  5. महादेव देसाई।