पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/२७३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२४३
भाषण : बम्बई में असहयोगपर


मुझे यह स्वीकार करनेमें तनिक भी संकोच नहीं हो रहा है कि मुगलोंके राज्यमें दमन और अत्याचार होता था; किन्तु भारतीयोंका जितना पतन आज हुआ है उतना उस जमाने में नहीं हो पाया था। जहाँतक मेरा सवाल है वहाँतक में इस बात से सहमत नहीं कि हमारी कौंसिलों में सदस्योंकी संख्या बढ़ाने और ऐसे ही दूसरे कदम उठाने के बादसे हमारी राजनैतिक स्थिति बहुत अधिक सुधरी है। मैं नहीं मानता कि सुधारोंसे भारतको कोई भी अधिकार मिला है और यदि मुझे कोई यह विश्वास करा दे कि ऐसा नहीं है तो मैंने नरमदलीय लोगोंको जो पत्र लिखा है उसे वापस लेनेके लिए में बिलकुल तैयार हूँ। यदि इन सुधारोंमें वास्तविकता और क्षमता है तो ब्रिटिश सरकारको लोगोंके विरुद्ध कोई गैरकानूनी कार्रवाई न कर सकनी चाहिए, किन्तु स्थिति ऐसी नहीं है। कुछ दिन पहले मुझे एक सज्जनका एक पत्र मिला था। उसमें उन्होंने कहा था कि उनपर पुलिसकी इमारतोंमें आग लगाने का आरोप लगाया गया है और वे इन मामलों में बिलकुल ही निर्दोष हैं। देशमें आज इस सम्बन्धमें इसी तरह की बहुत-सी दूसरी बातें भी हो रही हैं। लाला हरकिशनलाल पंजाबके एक नरमदलीय नेता हैं। उस प्रान्तमें उन जैसा नरमदलीय नेता दूसरा नहीं है और वे समस्त राजनैतिक आन्दोलनोंसे अलग रहे हैं। किन्तु मार्शल लॉके दिनोंमें वे गिरफ्तार कर लिये गये और उनको सजा दे दी गई।[१] लाला दुनीचन्द और कुछ अन्य लोगोंके साथ भी ऐसा ही किया गया था। इस समय भी बिहार प्रान्तमें, जहाँ लॉर्ड सिन्हा गवर्नर हैं, इतना दमन चल रहा है जितना भारतके अन्य किसी भागमें नहीं चल रहा। लॉर्ड सिन्हा ऐसे आदमी नहीं हैं जो ऐसी बातोंको सहन कर लें, किन्तु वे अपने अधीनस्थ सिविल सर्विसके अधिकारियों को अपने नियन्त्रणमें रखने में असमर्थ हैं, क्योंकि वे भारतीय हैं और अधिकारी अंग्रेज हैं। यदि लॉर्ड सिन्हाकी जगहपर सर एडवर्ड गेट[२] गवर्नर होते तो वे इन अधिकारियोंको झिड़कते; किन्तु लॉर्ड सिन्हा उन्हें नहीं झिड़क सकते। मुझे निश्चय है कि यदि लॉर्ड सिन्हा अपने इन अधीनस्थ अधिकारियोंको अंकुशमें रखनेका प्रयत्न भी करें तो वे ऐसा कदापि नहीं कर पायेंगे। बिहार प्रान्त में मजहरुल हक[३] और उनके जैसे दूसरे बड़े-बड़े नेता हैं। श्री एन्ड्रयूज ऐसे आदमी नहीं हैं जो गोरखोंके अत्याचारके सम्बन्ध में झूठी बातें लिखें। हम अच्छी तरह जानते हैं कि चाँदपुर में मजूरोंके साथ क्या किया गया है।[४] किन्तु सरकारने लोगोंको बताया है कि वहाँपर सैनिकोंने उतना ही बलप्रयोग किया है जितना आवश्यक था, उससे ज्यादा या कम नहीं। ऐसी ही

  1. देखिए खण्ड १५।
  2. १९१७ में हुए चम्पारन सत्याग्रहके समय बिहार और उड़ीसा के लेफ्टिनेंट गवर्नर।
  3. (१८६६-१९३०); वकील और राजनीतिज्ञ; मुस्लिम लीगके जन्मदाताओं में से एक। बादमें उसके सभापति; चम्पारन में गांधीजीके मददगार।
  4. यहाँ असमके मजदूरोंसे सम्बन्धित घटनाका उल्लेख किया गया है। जिसकी जाँच एन्ड्रयूजनेक थी।