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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


बनी चीजें सर्वोत्तम और यन्त्रोंकी बनी चीजोंकी अपेक्षा ज्यादा अच्छी समझी जाती हैं। नवसारीमें पारसी लोग भी ऐसा ही समझते हैं और भारतीयोंको भी हाथ बनी चीजोंको मूल्यवान समझना चाहिए। इंग्लैंडमें भी लोग हाथकी बनी चीजोंको व्यवहारमें लाना पसन्द करते हैं क्योंकि वे उन्हें सर्वोत्तम समझते हैं, और मेरी समझमें नहीं आता कि हम भारतीय भी उन्हें सर्वोत्तम क्यों न मानें। पारसियोंने मुझे अधिक रुपये नहीं दिये हैं; अधिक रुपये मेमनोंने भी नहीं दिये हैं। मेरे मित्र पारसी रुस्तमजीने[१] मुझे बड़ी-बड़ी रकमें दी हैं और मेरे ऊपर उनका इतना अधिक विश्वास है कि यदि में इस प्रकारकी इच्छा प्रकट-भर कर दूं तो वे मुझे अपना समस्त धन दे डालेंगे। सभाओं में आनेवाले लोग विश्वास रखें कि जो रुपया इकट्ठा किया गया है उसका ईमानदारीके साथ अच्छेसे अच्छा उपयोग किया जायेगा, क्योंकि हमें इस कामके लिए श्री मोतीलाल नेहरू, श्री जमनालाल बजाज, शंकरलाल बैंकर और उमर सोबानी तथा छोटानीसे अच्छे व्यक्ति नहीं मिल सकते।

एक पारसी सज्जन ने कहा: मैं जानना चाहता हूँ कि हम अपनी शक्ति केवल खद्दर बनाने तक ही क्यों सीमित रखें और रेशम और दूसरी उपयोगी वस्तुएँ क्यों न बनायें? में जापान गया था; वहाँ मैंने देखा कि देहातके लोग अपने-अपने घरोंमें छोटीसे-छोटी चीजें बनाते हैं और उससे अच्छी खासी आजीविका कमा लेते हैं। वे करघोंपर बढ़िया से बढ़िया रेशमी कपड़े बुन लेते हैं। में पूछता हूँ कि क्या हमारे देशके लोग शहरोंमें ही संघ और समितियाँ बनाकर उनकी सहायता से ऐसे काम नहीं कर सकते और इस प्रकार देशके बढ़ते हुए उद्योगोंको प्रोत्साहन नहीं दे सकते। यदि इन उद्योगों में कुछ नुकसान हो तो ये संघ और समितियाँ उसको पूरा करें और अभी हालमें खड़े किये गये उद्योगोंको प्रोत्साहन दें।

गांधीजीने कहा, जापान एक छोटा-सा द्वीप है, और भारत एक महाद्वीप है। हमें भारतकी इस ३० करोड़ आबादीका खयाल रखना पड़ता है और इसलिए भारतके लोग ऐसी अत्यन्त सामान्य वस्तुएँ ही बना सकते हैं जिनका उपयोग देशके सभी लोग करते हैं। भारतीय चरखा चलाने के अभ्यस्त हैं और वे अपने घरोंमें आसानीसे खावी तैयार कर सकते हैं। मैं यह नहीं कहता कि हमें सदा खद्दरका ही व्यवहार करना चाहिए। मुझे आशा है कि हम मलमल, जिसके लिए ढाका प्रसिद्ध था, और बारीक रेशमी कपड़ा भी बना सकेंगे। दुर्भाग्यसे इस समय हमें बढ़िया किस्मका कपड़ा बनानेके लिए समस्त बारीक सूत बाहरसे मँगाना पड़ता है। हम कुछ ही समयमें बढ़िया सूत तैयार करने योग्य हो जायेंगे, परन्तु जबतक ऐसा नहीं होता तबतक हमें खद्दरसे ही सन्तोष करना होगा।

  1. नेटालके प्रमुख भारतीय व्यापारी, जिन्होंने दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहमें खास हिस्सा लिया था।