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भाषण : बम्बई में असहयोगपर


श्री विमदलाल और श्री दुमसियाने गांधीजीसे पूछा, आप जो स्वराज्य चाहते हैं वह किस किस्मका होगा और उसमें हमारे वर्तमान शासकोंके लिए कोई स्थान रहेगा या नहीं?

गांधीजीने कहा, मैं चाहता हूँ कि सेना, पुलिस, कानून और राजस्वपर भारतीयोंका पूरा नियन्त्रण रहे और वे अपना धन स्वयं खर्च कर सकें। इस समय हम अपना प्रधान सेनापति नियुक्त नहीं कर सकते। यदि सैनिक भारतसे बाहर भेजे जानेको तैयार हैं तो हम उनमेंसे एकको भी बाहर जानेसे नहीं रोक सकते। मैंने जो कुछ कहा है वह में वोटों अथवा उसी प्रकारकी अन्य बातोंके बारेमें नहीं कहूँगा। यदि इस समय ये बातें हमारे नियन्त्रणमें आ जायेंगी तो हम धीरे-धीरे आगे बढ़ते जायेंगे। यदि हम अपनी जरूरतका पूरा कपड़ा बना सकें तो भारत स्वावलम्बी देश हो जायेगा; किन्तु हम अभी दूसरे देशोंके मोहताज हैं। जबतक हमें सरकारको उससे प्राप्त प्रत्येक अदना चीज तकके लिए धन्यवाद देना पड़ता है तबतक हम बहुत सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। हमें ऐसी स्थिति में आ जाना चाहिए कि हम दूसरे लोगोंकी सहायता के बिना काम चला सकें। मेरा खयाल है कि असहयोगके कारण लोगोंकी मनोवृत्ति बहुत-कुछ बदलती है, उदाहरणार्थ मलाबारके मोपला लोग, जो बड़े जोशीले हैं, असहयोगके प्रभावसे अनुशासन प्रिय हो गये हैं।

गांधीजीने एक अन्य प्रश्नके उत्तरमें कहा कि में औपनिवेशिक स्वराज्य से सन्तुष्ट हो जाऊँगा। वाइसरायकी राय है कि वह हमें धीरे-धीरे दिया जाये; किन्तु मेरी राय है कि तत्काल दिया जाये। जो लोग यह कहते हैं कि अभी हम शासन-भार सँभालने के योग्य नहीं हैं, उनसे में कहूँगा कि ऐसा इस कारण है कि हमें हमारे उचित अधिकारसे वंचित रखा गया है। मैं नहीं मानता कि भारतमें अपना शासन स्वयं करनेकी क्षमता नहीं है। हमारी शासन व्यवस्थामें मन्त्रिगण भारतीय हों या अंग्रेज, इसकी चिन्ता नहीं। में तो यही चाहता हूँ कि हम जब चाहें तब उनको नियुक्त कर सकें और जब चाहें तब हटा सकें। में यह नहीं चाहता कि किसी व्यक्तिको उसके रंगके कारण ही हटा दिया जाये; बल्कि तभी हटाया जाये जब उसे अयोग्य पाया जाये। मन्त्रियोंको कमिश्नरों और कलक्टरोंसे ऊँचा माना जाना चाहिए। भारतीय लोग सैनिक विभागके प्रशासनके अयोग्य हैं, ऐसा में नहीं मान सकता।

एक सज्जनने कहा, आप हिन्दुओं और मुसलमानोंकी एकताकी बात तो करते हैं, परन्तु इसमें पारसी लोग कहाँ आते हैं, यह में नहीं जानता। हिन्दू और मुसलमान अपने-अपने लोगोंको नियुक्त करेंगे और पारसियोंको कोई नहीं पूछेगा।

श्री एन० एम० तुमसियाने कहा, श्रीकृष्ण गुप्त ने हमें बताया है कि जबतक हम अपना बचाव स्वयं करने योग्य नहीं हैं तबतक स्वराज्य लेनेसे