पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 20.pdf/२७९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२४९
पत्र : सी० विजयराघवाचार्यको


बहुत-कुछ ऊँचे उठ गये हैं। इस आन्दोलनसे उनके दिलोंसे घृणा जाती रही है; यदि इससे दूसरे समाजोंके प्रति घृणा बढ़ रही होती तो मैं असहयोग आन्दोलनसे अलग हो गया होता।

श्री एन० एम० सुखिया ने कहा, मैंने स्वयं देखा है कि नगरोंमें पारसियोंको हिन्दुओं और मुसलमानों दोनोंने ही दबाया है। मैंने १८८६ में मालेगांवमें भी यही बात देखी थी। यदि पारसी यह देखेंगे कि यह आन्दोलन उनके लिए हितकर है तो वे उसमें भाग लेंगे, अन्यथा वे उससे अलग ही रहेंगे।

श्री गांधीने कहा, अंग्रेज भारतमें आजसे कोई १५० साल पहले आये थे। उससे पहले पारसी लोग मुसलमानों और हिन्दुओंके ही साथ रहते थे; अतः वे स्वयं ही यह तय कर सकते हैं कि तब उनकी अवस्था अबसे अच्छी थी या बुरी। हम हिन्दुओं और मुसलमानोंकी एकताकी बात इसलिए करते हैं कि उनमें एकता पहले थी ही नहीं और इस एकता में दूसरी छोटी-छोटी सब जातियोंकी जैसे यहूदियों, ईसाइयों, पारसियों आदिकी एकता आ जाती है। इसका अर्थ यह नहीं है कि हमारी मित्रता दूसरी जातियोंसे नहीं रहेगी और केवल हिन्दू-मुसलमान ही परस्पर मित्र रहेंगे। कांग्रेस में इतने दिनोंसे पारसियोंका बोलबाला है और वे उसमें बहुत से प्रमुख पदोंपर आसीन रहे हैं। कांग्रेस सभी के हितोंकी बराबर देखभाल करती है और में नहीं समझता कि भविष्य में पारसी हिन्दू और मुसलमान दोनों बड़ी जातियोंके बीचमें पड़कर पिस जायेंगे। यदि पारसी लोग यह समझते हों कि असहयोग आन्दोलनमें भाग लेनेसे उनको लाभ न होगा तो वे उससे अलग रह सकते हैं; यह उनकी मर्जीकी बात है। मेरा कहना तो यही है कि वे आन्दोलन में केवल तभी भाग लें जब वे इस परिणाम पर पहुँचें कि उससे उनका हित ही सधेगा; अन्यथा वे इसमें भाग न लें।

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, १९-६-१९२१

११२. पत्र : सी० विजयराघवाचार्यको[१]

[ १८ जून, १९२१ को या उसके पश्चात् ]

प्रिय श्री आचार्य

आपका तार मिला। कमेटीने पंजाब कांग्रेसको लिख दिया है कि जबतक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी इस मामलेमें फैसला नहीं दे देती तबतक वे आदेशोंका पालन करते रहें। अ० भा० कां० कमेटीकी बैठक २२ जुलाईको सवेरे लखनऊमें होगी।

  1. व २. ( १८५२-१९४३ ); तमिलनाडके कांग्रेसी नेता। सन् १९२० की नागपुर कांग्रेसके अध्यक्ष। विजयराघवाचार्थने १८ जूनको कोडाइकनालसे यह तार भेजा था: “आशा है कार्य समिति प्रस्तुत तीव्र संकटके सम्बन्धमें पंजाबको अपना सुविचारित निर्देश भेज रही है। मालवीयजी चाहते हैं वाइसरायके सम्मुख तत्काल ही व्यवहार्य योजना रखी जाये।”