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११५. समाचारपत्र-प्रतिनिधिके प्रश्नका उत्तर

एक समाचार प्रतिनिधि द्वारा यह प्रश्न किये जानेपर कि क्या आप मिलीटरी रिक्वायरमेंट कमेटीके सामने, जिसके लिए आपको आमन्त्रित किया गया है, एक गवाहके रूप में उपस्थित होंगे। श्री गांधीने जवाब दिया कि मैंने समितिको उसके सामने उपस्थित होने के सम्बन्धमें अपनी असमर्थता प्रकट करते हुए पहले ही पत्र लिख दिया है क्योंकि एक असहयोगी होने के नाते में समितिकी कार्रवाइयोंमें भाग नहीं ले सकता।

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे क्रॉनिकल, २०-६-१९२१

११६. पत्र: कुँवरजी आनन्दजीको

बम्बई
२१ जून, १९२१

भाईश्री ५ कुँवरजी आनन्दजी,

तिलक स्वराज्य कोषके लिए भावनगरने अभीतक कुछ नहीं किया है अर्थात् आपने अभीतक कुछ नहीं किया है। आपकी सुस्तीपर मुझे दुःख होता है। आप सब कुछ जानते हैं, आपके पास धन है। यह कार्य कैसा है, उसमें देशकी उन्नति किस प्रकार निहित है, यह सब आपको मालूम है, फिर भी इसमें आप पूरा-पूरा धन नहीं देते। मैं तो आपकी बुद्धि, आपका हृदय, आपका समय और आपका पैसा, यह सब चाहता हूँ। ऐसा समय फिर आनेवाला नहीं है। मेरी आकांक्षा है कि आप हमारी मदद करें।

मोहनदास गांधी वन्देमातरम्

[ गुजरातीसे ]

महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे।
सौजन्य: नारायण देसाई