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उन्होंने सार्वजनिक घोषणाकी आवश्यकताकों समझा | मैं श्री गोदरेज तथा सम्पूर्ण पारसी समुदायको बधाई देता हूँ। मै यह भी बता देना चाहता हूँकि वम्बईमे चन्दा

करनेके सप्ताह-भरमे एक दिन भी ऐसा नहीं गया जब कि पारसियोने चन्दे न दिये हो। पारसी महिलाएँ तथा पुरुष घर-घर जाकर भी चन्दा कर रहे है। वे घरना भी दे रहे है। समाचारपत्रोमें भीसभी पारसी-समाचारपत्र आन्दोछूनके विरोधी नहीं है। पर श्री गोदरेजकी उदारताके कारण पारसियोको समस्त भारतमे सहज ही सर्वप्रथम स्थान प्राप्त हो गया है। वैसे तो पारसी रुस्तमजीकी ५२,००० रुपयेकी राशि ही पारसियोकों

सम्मानित स्थान दिलानेके लिए यथेष्ट थी किन्तु श्री गोदरेजने उन्हे सर्वप्रथम स्थान दिला दिया है।

खतरेकी सम्भावना शराबकी दुकानोपर धरना देना पारसियोसे बहुत सम्बन्ध रखता है। हमे अपने पारसी देशवासियोके प्रति बहुत सहिष्णुतासे काम लेना होगा । धरना देना हम

विलकुछ तो वन्द नहीं कर सकते, पर हमे चाहिए कि हम शराबके व्यापारियोसे मिले, उनकी कठिनाइयोको समझे, और अपनी कठिनाइयाँ उन्हे बताये। श्री गोदरेजने अपने चन्देकी रकमको मद्यनिषेध तथा पददलित वर्गोके उत्थान-सम्बन्धी कार्योके लिए निर्धारित कर दिया है। अत हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि सभी पारसी अवश्य ही महान्‌

मद्यनिषेघ आन्दोलनके विरोधी है। यदि नरमदलीय मन्त्रिगण पूरे साहसके साथ नीलामम मिली सारी रकम छौटा नहीं देते, और शराबकी दुकानोको बन्द नहीं कर देते तो इस समय भद्यनिषेध आन्दोलनके दौरान सबसे अधिक भय है हिसाके विस्फोटका। मैं

उन्हे विश्वास दिलाता हूँकि आनन्‍्दोलनकों सयमित-नियन्त्रित किया जा सकता है, पर उसे रोका नहीं जा सकता । छोग शराबकी दुकानोकों बन्द करने तथा उसे दवाके

दुकानदारों द्वारा दवाके रूपमे बेचे जानेके सिव्रा अन्य किसी भी रूपमे बेचे जानेको अपराध माननेपर तुले हुए है। यह ऐसा मामला है जिसमें जरा भी विलम्बकी गुजाइश नही है।

आत्मशुद्धिकी प्रक्रिया श्री अव्बास तैयबजीको सभी जानते है। जबसे उन्होनें काग्रेस कमेटीकी पजाब रिपोर्टपर' काम किया है तबसे वे देशकी कुछ-न-कुछ सेवा करते ही रहते है। पर असहयोगने उनके जीवनमे क्रान्तिकारी परिवर्तन कर दिया है, जैसा कि अन्य बहुत-से

छोगोके जीवनमे भी किया है। श्री अव्वास बूढे होते हुए भी खेडामे रात-दिन काममे जुटे हुए है, ताकि वेजवाडा कार्यक्रमके अनुसार खेडाकों जो-कुछ करना है, उसे वह पूरा कर दे। वे किसानो-जैसे कठोर जीवनके आदी नही है। फिर भी वे इस समय खेडाके सामान्य किसानोके साथ, उन्हीकी मर्जी और सुविधाका खयाल रखते हुए, मिलने-जुलने-

में छगे हुए है। उनके साथ काम करनेवाले नवयुवक मित्र मुझे वतलाते है कि शक्ति और परिश्रममे वे उनमे से प्रत्येककों मात दे रहे है। मुझे विश्वास है किपाठकगण

१ तालये पजावमें हुए उपद्रवोंकी जॉचके लिए काग्रेस द्वारा नियुक्त उप-समितिकी रिपोश्े है;

देखिए खण्ड १७, पृष्ठ १९८-३२२ ।